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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को लॉकडाउन के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले में अगली सुनवाई 10 सितंबर को होगी। केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'बैंकिंग क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, हम ऐसा कोई भी निर्णय नहीं ले सकते हैं जो अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। हमने ब्याज माफ नहीं करने का फैसला लिया है लेकिन भुगतान के दबाव को कम किया जाएगा।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन बैंक खातों को 31 अगस्त तक नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) नहीं कहा गया था, उन्हें इस मामले के निपटारा होने तक एनपीए घोषित नहीं किया जाएगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर तय की है। इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि अगर ऋण रियायत अवधि का ब्याज माफ कर दिया गया तो यह नुकसानदेह साबित होगा। इससे बैंकों की सेहत खराब हो जाएगी। बैंक कमजोर पड़ जाएंगे, जो कि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं।

 

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का पुनर्निर्माण करने के लिए मजबूत बैंकों का होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा था कि विभिन्न प्रकार के बैंक हैं, एनबीएफसी भी हैं।

 

 

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