नई दिल्ली: कोरोना महामारी और लॉकडाउन के झटकों से चालू वित्तवर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का उबरना मुश्किल है। एसबीआई ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि पहली तिमाही विकास दर में आई रिकॉर्ड गिरावट आगे भी जारी रहेगी और 2020-21 में जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर शून्य से 10.9 फीसदी नीचे रहने का अनुमान है।
सरकार ने सोमवार को जीडीपी आंकड़े जारी कर बताया था कि पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर शून्य से 23.9 फीसदी नीचे रही है। इससे पहले इकोरैप रिपोर्ट में चालू वित्तवर्ष के लिए विकास दर में (-)6.8 फीसदी गिरावट का अनुमान था। एसबीआई रिसर्च ने कहा, हमारा शुरुआती अनुमान है कि जीडीपी वृद्धि दर सभी तिमाहियों में नकारात्मक रहेगी। दूसरी तिमाही में भी विकास दर शून्य से 12-15 फीसदी नीचे रह सकती है, जबकि तीसरी तिमाही में (-)5 से 10 फीसदी और चौथी तिमाही में (-)2 से 5 फीसदी रहने का अनुमान है। इस तरह देखा जाए तो पूरे वित्तवर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर (-)10.9 फीसदी रह सकती है।
निजी खपत में भी 14 फीसदी गिरावट रहेगी
एसबीआई रिसर्च ने कहा, पहली तिमाही में रिकॉर्ड गिरावट का सबसे बड़ा कारण निजी खपत में कमी है। इसकी वजह से निवेश की मांग भी नहीं बढ़ सकी। अमूमन जीडीपी में निजी खपत और खर्च की हिस्सेदारी 57 फीसदी रहती है, लेकिन मौजूदा संकट की वजह से 2020-21 में इसमें 14 फीसदी गिरावट का अनुमान है। इससे पहले 2010-11 से 2019-20 तक नौ वित्तवर्षों में निजी खपत और खर्च औसतन 12 फीसदी की दर से वृद्धि करता रहा है। इससे साफ तौर पर संकेत मिलते हैं कि इस साल निजी खपत और खर्च में 26 फीसदी की कमी आएगी। हालांकि, आरबीआई के कर्ज वृद्धि आंकड़े थोड़ा राहत के संकेत देते हैं। इसके अनुसार, जुलाई में उद्योग को छोड़कर सभी बड़े क्षेत्रों में कर्ज वृद्धि दर बढ़ी है। छोटे-मझोले उद्योगों, कृषि और पर्सनल लोन की मांग में भी इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में निर्माण, व्यापार, होटल और विमानन उद्योग में बड़े सुधार का सुझाव दिया गया है।
अगली तीन तिमाहियों की स्थिति
तिमाही विकास दर
दूसरी (-)12-15 फीसदी
तीसरी (-)5-10 फीसदी
चौथी (-)2-5 फीसदी
अर्थव्यवस्था की विकास दर ऊपर आने में महीनों लगेंगे : चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर ऊपर आने में अभी महीनों लग जाएंगे। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर शून्य से 23.9 फीसदी नीचे जाने पर टिप्पणी करते हुए पूर्व वित्तमंत्री ने कहा, इन आंकड़ों का अर्थ है पिछले 12 महीनों में एक तिमाही की जीडीपी का सफाया।
उन्होंने कहा इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि वित्त वर्ष 2019-20 की समाप्ति पर जीडीपी की दर 20 फीसदी नीचे चली गई थी। उस तिमाही में कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन ही वह क्षेत्र रहे, जिनमें वृद्धि देखने को मिली। वहीं, विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल व परिवहन आदि क्षेत्रों में बड़ी गिरावट देखने को मिली।
यह स्थिति हमारे लिए चौंकाने वाला नहीं है, बल्कि वह सरकार के लिए आश्चर्य का विषय है, जो कि प्रथम तिमाही में कई दिनों तक खुशफहमी में थी कि अर्थव्यवस्था घाटे से उबर रही है। सरकार ने स्थिति से उबरने के लिए कुछ नहीं किया।