ताज़ा खबरें
संभल हिंसा: सपा सांसद बर्क और पार्टी विधायक के बेटे पर मुकदमा
संसद में अडानी के मुद्दे पर हंगामा, राज्यसभा पूरे दिन के लिए स्थगित
संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान भड़की हिंसा:अब तक 4 लोगों की मौत
निज्जर हत्याकांड: कनाडा में चार भारतीयों के खिलाफ सीधे होगा ट्रायल
हेमंत सोरेन ने पेश किया सरकार बनाने का दावा, 28 को लेंगे शपथ

नई दिल्ली: चीन से कोरोबार शिफ्ट कर रही कंपनियों को लुभाने के लिए मोदी सरकार की ओर से हाल ही में घोषित प्रोत्साहनों का अच्छा परिणाम मिलता दिख रहा है। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स से एपल इंक तक के असेंबली पार्टनर्स ने भारत में निवेश को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सरकार ने मार्च में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स के लिए प्रोत्साहन पैकेज के रूप में पीएलआई स्कीम की घोषणा की। इसके तहत भारत में निर्मित सामानों की वृद्धिशील बिक्री पर 4-6 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसका फायदा कंपनियां पांच साल तक उठा सकती हैं। 40,995 करोड़ रुपए की पीएलआई योजना का लक्ष्य मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ाना है। परिणाम यह हुआ कि करीब दो दर्जन कंपनियों ने भारत में मोबाइल फैक्ट्री लगाने के लिए 1.5 अरब डॉलर निवेश करने का वादा किया है। सैमसंग के अलावा, होन हाई, प्रिसिजन इंडस्ट्रीज, विस्ट्रोन कॉर्प और पेगाट्रोन कॉर्प जैसी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है।

 

भारत ने इसी तरह दवा उद्योग के लिए भी प्रोत्साहन का ऐलान किया है और ऑटोमोबाल, टैक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भी इसी तरह की योजनाएं लाई जा सकती हैं। अमेरिका-चाइना ट्रेड टेंशन और कोरोना वायरस महामारी की वजह कंपनियां चीन से बाहर निकालना चाहती है, लेकिन भारत को अब तक इसका अधिक फायदा नहीं मिला था। 

स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी के एक हालिया सर्वे के मुताबिक वियतनाम कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह है। इसके बाद कंबोडिया, म्यांमार, बांग्लादेश और थाइलैंड को फायदा हुआ है। ड्यूश बैंक के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री कौशिक दास कहते हैं, ''मीडियम टर्म में सप्लाई चेन निवेश के मामले में भारत के लिए अच्छे मौके हैं। इन योजनाओं का लक्ष्य भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा बढ़ाना है।''

लाखों लोगों को मिलेगा रोजगार

सरकार को उम्मीद है कि इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए योजनाओं से अगले पांच साल में 153 अरब डॉलर के सामानों का उत्पादन होगा और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी। क्रेडिट सुइस ग्रुप एजी के विश्लेषक नीलकांत मिश्रा के मुताबिक इससे 55 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश अगले पांच साल में आने की संभावना है। इससे ग्लोबल स्मार्ट फोन प्रॉडक्शन का 10 फीसदी अतिरिक्त हिस्सा भारत में शिफ्ट होगा, अधिकतर चीन से। मोदी सरकार मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा मौजूदा 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट करना चाहती है। सरकार ने पहले ही कंपनियों से टैक्स घटाकर एशिया में सबसे कम कर दिया है। बोफा सिक्यॉरिटीज के विश्लेषक अमीश शाह क्लाइंट्स को एक रिपोर्ट में कहते हैं, ''आउटपुट लिंक्ड इंसेंटिव प्लान मेक इन इंडिया के लिए बड़ी जीत है।''

 

 

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख