नई दिल्ली: आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को 2009 के बाद से उनके कार्य प्रदर्शन पर दिया गया 9 करोड़ रुपये से अधिक का बोनस बैंक को लौटाना पड़ सकता है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। वहीं बैंक ने बुधवार को कोचर के इस्तीफे को ही उनकी बर्खास्तगी माना है। सूत्रों ने बताया कि वह अब तक इस्तेमाल नहीं किए गए शेयर विकल्प से भी हाथ धो बैठेंगी। कोचर मई 2009 में आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ और प्रबंध निदेशक बनीं और अक्टूबर 2018 में उन्होंने पद से इस्तीफा दिया।
सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि कोचर के पिछले दो वित्त वर्ष के लिये प्रदर्शन आधारित बोनस को रिजर्व बैंक ने मंजूरी नहीं दी। इसलिए कोचर को दी गई कुल बोनस राशि में इसे नहीं जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि एक्सिस बैंक और यस बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और प्रबंध निदेशकों के पिछले दो साल के बोनस को आरबीआई ने मंजूरी नहीं दी है।
बैंक की विभिन्न वार्षिक रिपोर्टों के मुताबिक, कोचर को 94 लाख शेयर कर्मचारी शेयर विकल्प योजना के तहत दिए गए, हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई है उन्होंने इनमें से कितने का इस्तेमाल किया। अगर कोचर को कर्मचारी शेयर स्वामित्व योजना (ईएसओपी) के तहत दिए गए कुल शेयरों की बात की जा देखा तो वर्तमान बाजार मूल्य पर इनका कुल मूल्य करीब 340 करोड़ रुपये बैठता है। हालांकि, यह राशि काफी कम भी हो सकती है क्योंकि पिछले नौ साल के दौरान हो सकता है उन्होंने कुछ शेयर बेच दिए हों।
उल्लेखनीय है कि श्रीकृष्ण समिति की स्वतंत्र जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आईसीआईसीआई बैंक के निदेशक मंडल ने बैंक की आंतरिक नीतियों, योजनाओं और आचार संहिता के तहत कोचर के इस्तीफे को उनकी गंभीर गलतियों के लिए बर्खास्तगी माना है। बयान में कहा गया था कि कोचर के सभी मौजूदा और भविष्य के लाभों को वापस लिया जाता है। जिसमें भुगतान नहीं हुई रकम, बकाया बोनस या वेतन वृद्धि, भुनाए गए और नहीं भुनाए गए शेयर विकल्प और चिकित्सा लाभ समेत अन्य चीजें शामिल हैं। निदेशक मंडल ने बैंक से अप्रैल 2009 से मार्च 2018 के बीच दिए गए बोनस को भी वापस लेने के लिए कदम उठाने को कहा है। साथ ही मामले में आगे जो भी कदम उठाने हैं उन्हें उठाने को कहा है।