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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने नए साल से पहले देश के करोड़ों सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा देते हुए नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में अपना योगदान बढ़ाने की घोषणा की है। इस बात की जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दी है। अपने फैसले में सरकार ने एनपीएस में खुद के योगदान को चार फीसदी बढ़ा दिया है और इसके साथ ही सरकार का योगदान 14 फीसदी हो गया है। सरकार ने इस फैसले के साथ ही एक फायदा ये भी दिया गया है कि रिटायरमेंट के बाद निकाली गई 60 फीसदी की रकम टैक्स-फ्री कर दी गई है, हालांकि एनपीएस में कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 फीसदी बना रहेगा।

इस मौके पर जेटली ने कर्मचारियों के 10 फीसदी तक योगदान के लिए आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर प्रोत्साहन की भी घोषणा की। बता दें कि फिलहाल सरकार तथा कर्मचारियों का योगदान एनपीएस में 10-10 फीसदी था। कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान 10 प्रतिशत पर बना रहेगा, जबकि सरकार ने अपना योगदान 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया है।

इस दौरान जेटली ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को कुल कोष में से 60 फीसदी ट्रांसफर करने को मंजूरी दी गई है, जो फिलहाल 40 फीसदी है। कर्मचारियों के पास निश्चित आय उत्पादों या शेयर इक्विटी में निवेश का विकल्प भी होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा लिए फैसले के अनुसार, यदि कर्मचारी सेवानिवृत्ति के समय एनपीएस में जमा धन का कोई भी हिस्सा निकालने का निर्णय नहीं करता है और 100 फीसदी पेंशन योजना में हस्तांतरित करता है, तो उसकी पेंशन अंतिम बार प्राप्त वेतन से 50 फीसदी से अधिक होगा।

एनपीएस की जानकारी न रखने वालों को बता दें कि यह एक रिटायरमेंट सेविंग्स अकाउंट है। इसका अकाउंट खुलवाने के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 65 साल है। भारत सरकार ने इसकी शुरुआत 1 जनवरी, 2004 को की थी। पहले यह स्कीम सिर्फ सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई थी, हालांकि 2009 के बाद इसे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए भी शुरू किया गया है।

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