नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगले दो महीनों के लिए रेपो रेट दर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि बैंक ने इस वित्त वर्ष के लिए विकास दर का 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। द्विमासिक मौद्रिक नीति कमेटी ने तीन दिन चली अपनी बैठक के बाद यह फैसला लिया है। फिलहाल रेपो रेट 6.5 फीसदी है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी है।
250 अंक टूटा सेंसेक्स
हालांकि आरबीआई के इस फैसले के बाद शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 250 अंकों से ज्यादा टूट गया। निफ्टी में 92 अंकों की गिरावट देखने को मिली। फिलहाल सेंसेक्स 35872 और निफ्टी 10777 पर कारोबार कर रहे हैं।
तुरंत कम होगी आपकी ईएमआई
आरबीआई ने होम, ऑटो और पर्सनल लोन को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब आरबीआई के ब्याज दरों पर फैसला करते ही बैंकों को भी इस पर फैसला लेना होगा। आरबीआई की दरें घटते ही बैंक आपकी ईएमआई घटा देंगे। महंगाई दर में कमी होने के चलते यह फैसला लिया गया है।
क्या होती है जीडीपी
जीडीपी को हम आम बोलचाल की भाषा में सकल घरेलू उत्पाद के नाम से जानते हैं। यह एक तरह से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को नापने का बैरोमीटर होता है। देश की अर्थव्यवस्था किस हाल में है और आगे के वर्ष में इसकी कैसी गति रहेगी, इस बात का पता चलता है। भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही में की जाती है। जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है। जीडीपी के तहत कृषि, उद्योग व सेवा तीन प्रमुख घटक आते हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है।
1935 में हुआ पहली बार इस्तेमाल
जीडीपी को सबसे पहले अमेरिका के एक अर्थशास्त्री साइमन ने 1935-44 के दौरान इस्तेमाल किया था। इस शब्द को साइमन ने अमेरिका की कांग्रेस में परिभाषित करके दिखाया तो उसके बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस शब्द को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
दो तरह से प्रस्तुत होता है जीडीपी
जीडीपी को दो तरह से प्रस्तुत किया जाता है, क्योंकि उत्पादन की कीमतें महंगाई के साथ घटती बढ़ती रहती हैं। यह पैमाना है कॉस्टैंट प्राइस का जिसके अंतर्गत जीडीपी की दर व उत्पादन का मूल्य एक आधार वर्ष में उत्पादन की कीमत पर तय होता है जबकि दूसरा पैमाना करेंट प्राइस है जिसमें उत्पादन वर्ष की महंगाई दर शामिल होती है।