नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को छोटे कारोबारियों को दिवाली का बड़ा तोहफा दिया। उन्होंने सूक्ष्म-लघु और मझोले (एमएसएमई) क्षेत्र के कारोबारियों के लिए 59 मिनट में एक करोड़ रुपये के लोन देने के पोर्टल को लॉन्च किया। उन्होंने छोटे कारोबारियों के लिए श्रम कानूनों में ढील, पर्यावरण मानकों के अनुपालन में आसानी के साथ कंपनी कानून में बदलाव के कदमों की भी घोषणा की।
एमएसएमई सेक्टर रोजगार देने वाला देश का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। जीएसटी में पंजीकृत कारोबारियों को एक करोड़ तक के ऋण पर दो फीसदी तक की छूट भी मिलेगी। जबकि निर्यात क्षेत्र के एमएसएमई को माल बाहर भेजने पर छूट तीन से बढ़ाकर पांच फीसदी कर दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के ये नए कदम उद्यमियों और उनके कर्मचारियों के लिए दीपावली और उज्जवल बनाएंगे।
व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं होगा
इंस्पेक्टरराज पूरी तरह से खत्म करने के लिए मोदी ने ऐलान किया कि कारखानों के निरीक्षण की मंजूरी कंप्यूटर से बिना क्रम के चयन किया जाएगा। निरीक्षक को रिपोर्ट पोर्टल पर 48 घंटों के भीतर अपलोड करनी होगी। इससे कोई भी निरीक्षक मनमुताबिक कहीं भी निरीक्षण नहीं कर सकेगा, उसे इसकी उचित वजह बतानी होगी। कारोबार सुगमता की रैंकिंग में बड़े उछाल से उत्साहित सरकार ने कर अनुपालन और पर्यावरण मंजूरी को भी आसान बनाया है। एमएसएमई सेक्टर को फैक्ट्री लगाने के लिए सिर्फ एक सहमति चाहिए होगी और पानी-बिजली का क्लियरेंस भी एकसाथ मिलेगा।
छोटे-मोटे अपराधों के लिए सिर्फ जुर्माना
आठ श्रम कानूनों और दस केंद्रीय कानूनों पर एमएसएमई कारोबारियों को सिर्फ एक रिटर्न भरना होगा। । कंपनी कानूनों में बदलाव कर छोटे-मोटे अपराधों में सिर्फ जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा। यही नहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के सभी केंद्रीय उपक्रमों को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस की सदस्यता लेनी होगी, जिससे रोजमर्रा के उत्पाद और सेवाओं की खरीद सरकारी विभागों व संगठनों द्वारा ऑनलाइन पूरी की जा सके।
सरकारी कंपनियों को 25% खरीद एमएसएमई से करनी होगी
प्रधानमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को एमएसएमई सेक्टर से सालाना खरीद न्यूनतम 20 से बढ़ाकर 25 फीसदी करनी होगी। इसमें तीन फीसदी खरीद महिला उद्यमियों से करनी होगी।
तकनीकी उन्नयन के 20 हब बनेंगे
मोदी ने कहा कि छह हजार करोड़ से तकनीकी उन्नयन के 20 हब और 100 टूल रूम बनाए जाएंगे। फार्मा सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अलग क्लस्टर बनाया जाएगा। 500 करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली सभी कंपनियां ट्रेड रिसीवेबल्स ई-डिसकाउंटिंग सिस्टम(ट्रेड्स) प्लेटफार्म पर होंगी, ताकि उन्हें पूंजी की कोई कमी न रहे।