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नई दिल्ली: छोटे व्यापारियों के देश भर में विरोध प्रदर्शन के बीच अमेरिकी खुदरा कंपनी वालमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीदने के अपने फैसले का बचाव करते हुए आज कहा कि यह सरकार की प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अनुरूप ही है। कंपनी के बयान में कहा गया है कि इस अधिग्रहण से भारत में विनिर्माण को बल मिलेगा। कंपनी अपने बाजार माडल के जरिए स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को ग्राहकों तक पहुंचाएगी। व्यापारियों के प्रमुख संगठन कन्फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने वालमार्ट-फ्लिपकार्ट सौदे के खिलाफ आज देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया।

कैट ने सरकार से इस सौदे को रद्द करने तथा देश के ईकामर्स बाजार की निगरानी व नियमन के लिए नियामकीय इकाई बनाने की मांग की है। वालमार्ट के बयान में कहा गया है कि वह फ्लिपकार्ट के साथ भागीदारी से देश के एसएमई आपूर्तिकर्ताओं, किसानों को अपना माल बाजार तक पहुंचाने में मदद करेगी। तथा देश में स्थानीय विनिर्माण को बल मिलेगा।

कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इन दोनों कंपनियों के विलय पर गंभीर आपत्ति जताते हुए आशंका जताई है कि इससे दुनिया की सबसे बड़ी खुदरा कंपनी वालमार्ट 'बाजार बिगाड़ू गतिविधियों में शामिल होगी। संगठन का कहना है कि उसकी मांगों पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत है। कैट का राष्ट्रीय सम्मेलन यहां 23-25 जुलाई को होगा जिसमें आगे के कदमों पर विचार किया जाएगा।

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