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नई दिल्ली: केंद्र ने भारी घाटे और खराब कर्ज के बोझ तले दबे सरकारी बैंकों में सुधार की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसमें सबसे पहले आईडीबीआई बैंक को बेचने की तैयारी है। आईडीबीआई बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव में एक विकल्प इसकी 86 फीसदी हिस्सेदारी एलआईसी जैसे सरकारी उपक्रम को बेचने की है। सूत्रों का कहना है कि मुंबई में शुक्रवार को वरिष्ठ बैंकरों और अधिकारियों की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई। हालांकि एलआईसी अकेले आईडीबीआई के शेयर नहीं खरीद सकती। उस पर किसी एक कंपनी में अधिकतम 15 फीसदी शेयर खरीदने की शर्त लागू है।

एलआईसी के पास आईडीबीआई के 10.82 प्रतिशत हिस्सेदारी पहले से ही है। दूसरा प्रस्ताव सरकार की हिस्सेदारी को 50 फीसदी से नीचे लाए जाने का भी है। सरकार ने मई में ही बैंक में अपने अंशधारिता 80.96 फीसदी से बढ़ाकर 85.96 फीसदी की थी। हालांकि पूंजी के संकट से जूझ रहे आईडीबीआई बैंक ने कई अन्य माध्यमों से पूंजी जुटाकर वित्तीय स्थिति सुधारने की कवायद शुरू की है।

निजीकरण के बाद सरकार पर घाटे और एनपीए से जूझ रहे आईडीबीआई को दोबारा पूंजी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नहीं होगी। सरकार का उद्देश्य निजीकरण के जरिये बैंक के बोर्ड को पेशेवर बनाना है, ताकि बैंक के कामकाज में सुधार के साथ जवाबदेही आए। कई सरकारी बैंकों के बीच विलय की खबरें भी तेज हैं। गौरतलब है कि केंद्र ने बैंकों को पुनर्पूंजीकरण के तहत इस साल 85 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराने हैं, लेकिन इन बैंकों का घाटा ही 78 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है।

कानून में बदलाव की जरूरत नहीं

आईडीबीआई एकमात्र ऐसा सरकारी बैंक है, जो बैंक राष्ट्रीयकरण कानून के दायरे में नहीं है। इससे सरकार के लिए उसमें अपना हिस्सा बेचना आसान होगा और कानून में बदलाव की जरूरत भी नहीं होगी।

62 फीसदी बढ़ा घाटा एक साल में

आईडीबीआई बैंक का घाटा पिछले एक साल में 62 फीसदी बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में उसका नुकसान 5158 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2017-18 में 8237 करोड़ रुपये हो गया है। उसका एनपीए भी इस दौरान 32 फीसदी बढ़कर 55 हजार 588 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

छह और बैंकों पर गिर सकती है गाज

रिजर्व बैंक पीएनबी, सिंडिकेट समेत छह और सरकारी बैंकों को त्वरित सुधार प्रक्रिया (पीसीए) के तहत ला सकता है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इससे इन बैंकों के कर्ज बांटने पर अंकुश लग सकता है। 21 में से 11 सरकारी बैंक पहले ही पीसीए के दायरे में हैं। इसमें इलाहाबाद और देना बैंक शामिल हैं। वहीं ऑल इंडिया बैंकिंग एसोसिएशन ने आरबीआई गवर्नर से देना बैंक पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया है।

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