नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने बढ़ती महंगाई विशेषकर ईंधनों की कीमतों में तेजी के मद्देनजर साढ़े चार साल बाद नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। मुख्य नीतिगत रेपो रेट छह प्रतिशत से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दी गयी है। इससे बैंक ऋण महंगा कर सकते हैं। इससे आम उपभोक्ताओं के लिए आवास और वाहन ऋण की ईएमआई के साथ उद्योगों के लिए भी पूंजी महंगी हो सकती है।
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने समिति की बैठक के बाद बताया कि रेपो दर के अनुरूप रिवर्स रेपो दर भी 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर छह प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फसिलिटी दर तथा बैंक दर बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिये गये हैं। हालांकि, समिति ने अपना रुख निरपेक्ष बनाये रखने की घोषणा की है। छह सदस्यीय समिति ने नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का फैसला सर्वसम्मति से किया। इससे पहले आखिरी बार जनवरी 2014 में रेपो दर बढ़ाई गयी थी जब इसे 7.75 प्रतिशत से आठ प्रतिशत किया गया था।
रिजर्व बैंक ने 2018-19 के लिये जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा। आरबीआई ने 2018-19 की पहली छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 4.8-4.9 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही के लिये 4.7 प्रतिशत किया। आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि 2018-19 के लिये सामान्य मानसून की भविष्यवाणी कृषि क्षेत्र के लिये शुभ संकेत है।
बैंकों ने कर्ज महंगा किया
रिजर्व बैंक के ब्याज दरों पर फैसले के पहले ही कई बैंकों ने अपने कर्ज महंगे कर दिए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने मंगलवार को अपने एमसीएलआर में 0.05% की बढ़ोतरी की है। ये दरें सात जून से लागू होंगी। इससे पहले एसबीआई, पीएनबी और आईसीआई बैंक भी अपनी ब्याज दरें बढ़ा चुके हैं।