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नई दिल्ली. अनिल अंबानी की स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) के खिलाफ बैंकरप्सी के मामला फिर से कार्रवाई शुरू होगी। इनसॉल्वेंसी व बैंकरप्सी ट्राइब्यूनल ने इस कार्रवाई के लिए आदेश जारी कर दिया है। इससे इस टेलिकॉम कंपनी की अपने वायरलेस एसेट्स बड़े भाई मुकेश अंबानी के रिलायंस जियो इंफोकॉम को 18,000 करोड़ रुपये में बेचने की डील में अड़चन आ सकती है।

जानकारी के अनुसार आरकॉम पर भारी कर्ज है और उसने इसे कम करने के लिए उक्त डील की थी। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई बेंच ने आठ महीने की कानूनी लड़ाई के बाद मंगलवार को आरकॉम और उसकी सब्सडियरीज के खिलाफ स्वीडन की टेलिकॉम गियर कंपनी एरिक्सन की तीन याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। इससे एयरसेल के बाद आरकॉम बैंकरप्सी प्रॉसीडिंग में जाने वाली दूसरी टेलिकॉम कंपनी बन गई है।

एनसीएलटी के इस ऑर्डर के खिलाफ आरकॉम नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल में अपील कर सकती है। आरकॉम पर लगभग 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. देश के टेलिकॉम मार्केट में कड़े कॉम्पिटिशन का आरकॉम सामना नहीं कर सकी थी और इस वजह से इसे 2017 के अंत में अपना वायरलेस बिजनेस बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

एयरसेल के साथ मरजर की कोशिश बेकार होने के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया था। पिछले वर्ष दिसंबर में इसने जियो के साथ अपना स्पेक्ट्रम, टावर्स, फाइबर और स्विचिंग नोड्स बेचने की डील साइन की थी। यह कदम कर्ज को कम करने के लिए उठाया गया था. कंपनी के बैंकरप्सी प्रॉसीडिंग में जाने से यह डील अटक सकती है।

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