नई दिल्ली: बैंकों के बढ़ते एनपीए के मद्देनजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बेहद सख्त नजर आ रहा है। देना बैंक के बाद अब RBI ने इलाहाबाद बैंक पर जोखिम वाले क्षेत्रों को ऋण देने और ऊंची लागत की जमा जुटाने पर पाबंदी लगा दिया है। रिजर्व बैंक ने यह कदम त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई करते हुए उठाया है। इलाहाबाद बैंक की ओर से शेयर बाजार को दी जानकारी के मुताबिक रिजर्व बैंक ने बैंक के पूंजी पर्याप्तता अनुपात और कर्ज अनुपात की स्थिति को देखते हुए यह अतिरिक्त कदम उठाया है।
आपको बात दें कि रिजर्व बैंक ने इलाहाबाद बैंक को इससे पहले उच्च जोखिम वाले कर्ज में कमी लाने और ऐसी परिसंपत्तियों को कर्ज देने से बचने की सलाह दे चुका है। इसी बीच सरकार ने आज कहा कि उसने बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक ऊषा अनंतसुब्रहमण्यम को पद से हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है. उन पर यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ पहला आरोपपत्र दायर करने के बाद शुरु की गई है।
उल्लेखनीय है कि यह आरोपपत्र पीएनबी में हुए 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में दायर किया गया है। उनके खिलाफ इस कार्रवाई को इलाहाबाद बैंक का निदेशक मंडल अंजाम देगा।
ऊषा पिछले साल पांच मई तक पीएनबी की प्रबंध निदेशक थीं. सरकार ने इलाहाबाद बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) उषा अनंतसुब्रमण्यम और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के दो कार्यकारी निदेशकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पीएनबी के दो अरब डॉलर के घोटाले में सीबीआई द्वारा सोमवार को दायर आरोप-पत्र में इन अधिकारियों की भूमिका का जिक्र किया गया है।
आरोप-पत्र दायर होने के कुछ घंटे बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने बताया कि पीएनबी के निदेशक मंडल ने बैंक के दो कार्यकारी निदेशकों केवी ब्रह्माजी राव और संजीव शरण के सभी वित्तीय और कार्यकारी अधिकार छीन लिये हैं।
इलाहाबाद बैंक का निदेशक मंडल एक दो दिन में इसी तरह की कार्रवाई बैंक की सीईओ और प्रबंध निदेशिका उषा अनंतसुब्रमण्यम के खिलाफ कर सकता है। वह पिछले साल पांच मई तक पीएनबी की प्रबंध निदेशिका थीं। कुमार ने बताया कि इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल को बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक उषा अनंतसुब्रमण्यम के सभी अधिकार वापस लेने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि बैंक के बोर्ड से निदेशकों को हटाने की एक सुनिश्चित प्रक्रिया है, जो शुरू की जा चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि इलाहाबाद बैंक के निदेशक मंडल की एक या दो दिन में बैठक हो सकती है। सरकार की पीएनबी में 62 प्रतिशत तथा इलाहाबाद बैंक में 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। कुमार ने कहा, पीएनबी के बोर्ड ने कार्यकारी निदेशकों के कामकाज के और वित्तीय अधिकार वापस ले लिये हैं। साथ ही सरकार से उन्हें बदलने का आग्रह किया है। यह कदम सीबीआई द्वारा देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले में पहला आरोपपत्र दाखिल किये जाने के कुछ घंटे बाद उठाया गया है। पीएनबी में दो अरब डॉलर के घोटाले का सूत्रधार आभूषण कारोबारी नीरव मोदी है।
आरोप-पत्र में पीएनबी की पूर्व प्रमुख अनंतसुब्रमण्यम की घोटाले में कथित भूमिका का उल्लेख किया गया है। अनंतसुब्रमण्यम 2015 से 2017 तक पीएनबी की प्रबंध निदेशिका व सीईओ थीं। सीबीआई ने हाल में उनसे इस मामले में पूछताछ की थी। कुमार ने कहा, ‘एजेंसियों ने सोमवार को आरोपपत्र दायर किया. दस दिन पहले हमने पीएनबी के दो कार्यकारी निदेशकों तथा इलाहाबाद बैंक की मौजूदा प्रबंध निदेशक एवं सीईओ से स्पष्टीकरण मांगा था। आभूषण कारोबारी नीरव मोदी ने जाली गारंटी पत्रों (एलओयू) के जरिये पीएनबी के साथ करीब 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। नीरव मोदी ने स्विफ्ट के मूल बैंकिंग प्रणाली से एकीकरण न होने का फायदा उठाया और इस मामले में उसकी बैंक अधिकारियों के साथ सांठगांठ थी। कुमार ने कहा कि यह वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वह प्रणाली के जोखिम को कम करे। हमने दस दिन पहले इन बैंक अधिकारियों को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा था।
उन्होंने कहा कि बैंक के बोर्ड से निदेशकों को हटाने की प्रक्रिया है। ‘दस दिन पहले नोटिस जारी किया गया बैंकिंग नियमन कानून की धारा 8 यह परिभाषित करती है कि निदेशक को कैसे हटाया जा सकता है। हमने उनको हटाने की प्रक्रिया भी शुरू की है। यह स्पष्ट संदेश है कि जो हम करते हैं उसके जिम्मेदार हम ही होंगे। हम तभी कार्रवाई कर सकते हैं जबकि हमारे पास पुख्ता प्रमाण हों।' उन्होंने कहा कि सरकार ने कड़ा कदम उठाया है जो इस बात की पुष्टि करता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कामकाज का संचालन उच्चस्तर का होना चाहिए। यह पूछे जाने पर आईडीबीआई बैंक द्वारा एयरसेल को दिये गये कर्ज के मामले में जिन दो प्रबंध निदेशकों का नाम प्राथमिकी में आया है उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है।
कुमार ने कहा, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम सुनी सुनायी बात पर कार्रवाई नहीं कर सकते. वे जिम्मेदार लोग हैं। कुछ को छोड़ दिया जाये, तो ज्यादातर बड़े बैंक अधिकारियों ने देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दिया है। पिछले महीने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिंडिकेट बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ मेल्विन रेगो के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आईडीबीआई के 600 करोड़ रुपये की ऋण धोखाधड़ी मामले के समय वह आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक थे। कर्ज धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने आईडीबीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किशोर खारत के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। अभी वह इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।