नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हर माह तीन रिटर्न भरने के झंझट से कारोबारियों को निजात देने पर मुहर लगा दी है। जीएसटी परिषद की शुक्रवार को हुई 27वीं बैठक में हर माह एक रिटर्न भरने की प्रणाली छह माह में लागू करने का ऐलान हुआ। परिषद ने रिटर्न भरने के लिए नया सरल फार्म जारी किया है, इसके तहत करदाता को एक महीने में एक ही रिटर्न भरना होगा। लेकिन यह व्यवस्था अमल में लाने में छह माह लगेंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये जीएसटी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। नई दिल्ली में उनके साथ वित्त सचिव हसमुख अधिया भी मौजूद थे। जेटली ने कहा कि रिटर्न सरलीकरण पर फैसला ले लिया गया है और इसके लिए जल्द ही रोडमैप जारी होगा। अधिया ने कहा कि प्रति माह एक रिटर्न दाखिल करने की सुविधा छह माह में लागू हो जाएगी।
जेटली ने कहा कि ज्यादातर राज्य डिजिटल या चेक के जरिये भुगतान पर दो फीसदी प्रोत्साहन राशि के प्रस्ताव के समर्थन में थे। लेकिन कुछ राज्यों ने तंबाकू जैसे नकारात्मक उत्पादों को इससे अलग रखने को कहा। लिहाजा यह मुद्दा राज्यों के वित्त मंत्रियों के पांच सदस्यीय समूह देखेगा।
डिजिटल भुगतान पर मंत्रिसमूह करेगा फैसला
केंद्र सरकार ने डिजिटल लेनदेन पर ग्राहकों और कारोबारियों को राहत देने का मुद्दा भी राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह को सौंपने का फैसला किया है। डिजिटल भुगतान पर दो फीसदी कैशबैक देने के प्रस्ताव पर बैठक में विचार किया गया।
जीएसटीएन को सरकारी कंपनी बनाने पर मुहर
परिषद ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) की शेयरधारिता में बदलाव करके इसे सरकारी कंपनी बनाने पर भी अपनी मुहर लगा दी। बैठक में यह फैसला लिया कि जीएसटीएन की 51 फीसदी हिस्सेदारी, जो फिलहाल गैर सरकारी संस्थानों के पास है, उसे केंद्र और राज्य सरकार को दिया जाएगा। फिलहाल जीएसटीएन में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के पास 24.5-24.5 प्रतिशत की बराबरर हिस्सेदारी है और शेयर 51 फीसदी हिस्सेदारी गैर सरकारी संस्थानों की है। जीएसटीएन पंजीकरण, रिटर्न फाइलिंग, कर भुगतान, रिफंड प्रक्रिया को देखती है और लाखों कारोबारों के आयात- निर्यात समेत कई आंकड़े इसकी निगरानी में हैं। लिहाजा इसे पूर्णत: सरकारी कंपनी बनाने को मंजूरी दी है।
जीएसटीएन का गठन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में 28 मार्च 2013 को कंपनी अधिनियम की धारा आठ के तहत किया गया था। इस उद्देश्य देश में जीएसटी लागू करने में केंद्र एवं राज्यों सरकारों के साथ करदाताओं और अन्य हितधारकों को साझी आईटी संरचना और सेवा उपलब्ध कराना है।