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नई दिल्ली: जीएसटी नेटवर्क जल्द ही सरकारी कंपनी में तब्दील हो जाएगी। शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की 27वीं बैठक में जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी कंपनी बनाने की मंजूरी दी है। सरकार जीएसटीएन में निजी इकाइयों से 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगी। जीएसटीएन की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र के पास होगी और राज्यों के पास सामूहिक रूप से इसकी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद यह जानकारी दी।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक के बाद कहा कि चीनी पर उपकर (सेस) लगाने के लिए मंत्रिसमूह विचार करेगा। एक अन्य अहम फैसले के तहत जीएसटी काउंसिल ने डिजिटल भुगतान के लिए 2 प्रतिशत प्रोत्साहन देने का मामला 5 सदस्यीय समिति को भेजा है।

चीनी पर उपकर लगाने पर मंत्रिसमूह विचार करेगा

जीएसटी परिषद की 27वीं बैठक में चीनी पर उपकर लगाने के विषय में सदस्यों ने अगल-अगल मत जाहिर किए। पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री ने कहा कि चीनी पर उपकर लगाने का फायदा सिर्फ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश को होगा।

परिषद की ओर से इस मसले पर विचार करने के लिए मंत्रिसमूह का गठन करने की सिफारिश की गई। वित्तमंत्री ने परिषद की बैठक के बाद वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “चीनी पर उपकर लगाने पर मंत्रिसमूह विचार करेगा।”मौजूदा चीनी उत्पादन व विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) में अप्रैल के आखिर तक देश में चीनी का उत्पादन 310 लाख टन से ज्यादा हो गया। खपत के मुकाबले आपूर्ति ज्यादा होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई, जिसके चलते मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगभग 20,000 करोड़ रुपये हो गया है

। गन्ना उत्पादकों के बकाये का भुगतान समय से किए जाने के उपाय के मद्देनजर सरकार ने मिलों को उत्पादन लागत में राहत प्रदान करते हुए किसानों को गन्ने की खरीद पर 55 रुपये टन की दर से सीधा भुगतान करने का फैसला किया। इसके लिए फंड की व्यवस्था करने के मकसद से केंद्र सरकार चीनी पर उपकर लगाना चाहती है।

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