नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को बैंक लॉकरों को सील करने और आभूषणों को जब्त करने जैसी अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाने जा रही है। कुछ मामलों में 2,000 रुपये के नए नोटों से स्याही निकलने की खबरों पर भी मंत्रालय ने स्थिति स्पष्ट की। मंत्रालय ने अधिकारिक रूप से ट्वीट कर कहा है, ‘यह केवल कोरी कल्पना है कि सरकार का अगला कदम बैंक लॉकरों को सील करना और आभूषणों को जब्त करना है। ऐसी बातें निराधार हैं। बैंक लॉकरों को सील करने और आभूषण जब्त करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।’ मंत्रालय ने यह भी कहा कि 2,000 रुपये के नए नोटों में सुरक्षा की दृष्टि से कई विशेषताओं को शामिल किया गया है, जिनमें ‘उत्कीर्ण’ मुद्रण भी शामिल है। मंत्रालय ने कहा, ‘सही नोट की पहचान के लिए जब आप इसे कपड़े पर रगड़ेंगे तो एक टर्बो विद्युत प्रभाव उत्पन्न होता है और इसी कारण स्याही कपड़े में लग जाती है।’ लगातार विपक्षी पार्टियों द्वारा आरोप लगाए जा रहे है कि सरकार ने भाजपा के नेताओं को इसकी सूचना पहले से ही दे दी थी। इस पर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि इस संबंध में पूरी तरह से गोपनीयता बरती गई है और सरकार की तैयारी की भनक किसी को भी नहीं लगने दी गई। मंत्रालय ने यह भी कहा कि चिप की बातें मनगढंत हैं। जनता की बीच ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा था कि नए नोट में कालाधन जमा करने वालों पर नजर रखने के लिए चिप्स लगे हुए है। सरकार ने इस पर तथ्य देते हुए कहा कि ये काल्पनिक और मनगढंत बातें हैं। नए नोट में किसी भी तरह की चिप्स नहीं लगी हैं।
मंत्रालय ने फैलाए जा रहे एक अन्य भ्रम 'विमुद्रीकरण सिर्फ दिखावे के लिए है। लोग कालाधन रखने के लिए दूसरे रास्ते तलाश लेंगे। उद्योग-व्यापारी वर्ग इस समस्या का तोड़ निकलने में लग गए हैं।' इस पर सफाई देते मंत्रालय ने कहा कि, प्रवर्तन एजेंसियां कड़ी नजर रख रही हैं, बेनामी कारोबार अधिनियम और काले धन को रोकने के लिए सूचना साझा करने की संधि में आवश्यक बदलाव किए है। ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है कि प्रधानमंत्री 100 और 50 रुपए के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा के लिए देश को संबोधित करने जा रहे हैं। इस पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह सूचना आधारहीन है, किसी भी दूसरे मूल्य के नोट के विमुद्रीकरण के लिए लीगल टेंडर रद्द करने पर विचार नहीं किया गया है। ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है कि विमुद्रीकरण लागू करने की लागत लाभ से अधिक है। इस पर सरकार की ओर स्पष्ट किया कि समानांतर अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करती है और दूसरों की तुलना में गरीब और मध्यमवर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।