नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज (गुरूवार) इस बात पर निराशा जताई कि भारत ने पिछले ढाई साल में कारोबार की स्थिति सुगम करने के लिये जो प्रयास किये वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने उन पर पूरी तरह ध्यान नहीं दिया। आर्थिक संपादकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि इस अवधि में सरकार ने देश में बेहद प्रतिकूल वैश्विक वातावरण में कामकाज किया है। उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि हमने जिस प्रकार के कदम उठाए हैं, हमारे प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से उसका पूरा श्रेय नहीं मिला है।’ वित्त मंत्री का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि विश्व बैंक द्वारा हाल में जारी कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत को काफी निचले 130वें स्थान पर रखा गया। इसके अलावा वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने अगले दो साल तक भारत की रेटिंग में उन्नयन की संभावना से इनकार किया है। एसएंडपी ने भारत को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी-माइनस दीर्घावधि तथा ए-3 की लघु अवधि की रेटिंग दी है। मूडीज ने भी भारत में निजी क्षेत्र का निवेश कम रहने और बैंकों के बढ़ते एनपीए की वजह से अगले दो साल तक भारत की रेटिंग में सुधार को लेकर असमर्थता जताई है। वित्त मंत्री ने कहा कि मई, 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सबसे पहली चुनौती निर्णय लेने की प्रक्रिया की विश्वसनीयता कायम करने की थी। सरकार इस दौरान जरूरी फैसले लेने से पीछे नहीं हटी है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमने निर्णय की प्रक्रिया में वृहद सहमति का रास्ता चुना है।
हालांकि, हमने सहमति बनाने के लिए किसी निर्णय को अनिश्चितकाल के लिए टाला नहीं है बल्कि ऐसा वातावरण बनाया है जिससे सहमति बन सके। विदेशी कंपनियों के लिए विभिन्न क्षेत्रों को खोले जाने के बारे में जेटली ने कहा कि विधायी और सरकारी आदेशों के जरिये कई क्षेत्रों को उदार किया गया है। इसके अलावा प्रक्रियाओं को सुगम किया गया है और सरकार का प्रयास भारत में कारोबार का रास्ता सुगम करने का है। जेटली ने आगे कहा कि इस साल प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष कर संग्रहण दोनों अच्छे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक खर्च में बढ़ोतरी हुई है और देश को अच्छा वैश्विक निवेश मिल रहा है। विभिन्न सुधारों पर जेटली ने कहा कि सरकार कराधान में सुधार की प्रक्रिया में है। जीएसटी को लेकर काफी रास्ता तय कर लिया गया है। इसके अलावा प्रत्यक्ष कर ढांचे को सुधारा है, दिवाला संहिता और जीएसटी को आगे बढ़ाया है। हमारी प्राथमिकता सहमति बनाने की है और हमें उम्मीद है कि हम इस विकल्प का इस्तेमाल करेंगे।