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नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सूक येओल को महाभियोग के बाद बुधवार (15 जनवरी) को कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। यह देश के इतिहास में पहली बार है जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति को हिरासत में लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी दक्षिण कोरिया के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है। इसका देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।

'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति यूं सूक येओल पर विभिन्न आरोप लगाए गए थे, जिनमें भ्रष्टाचार, सत्ता का गलत इस्तेमाल समेत अन्य अनियमितताएं शामिल थीं। संसद में महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने राष्ट्रपति को हिरासत में लेने का फैसला लिया। इस कदम ने देश में राजनीतिक हलचल मचा दी है।

महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यूं सूक येओल के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर मार्शल लॉ लागू करने की कोशिश की, जिसे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा।

महाभियोग के बाद से ही देश में अस्थिरता का माहौल था, जो अब उनकी गिरफ्तारी के साथ और अधिक गंभीर हो गया है।

नाटकीय गिरफ्तारी की घटनाएं

बुधवार की सुबह, 1,000 से अधिक भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ता और पुलिस अधिकारी यूं सूक येओल के घर पर पहुंचे। इस दौरान उनके घर के चारों ओर बैरिकेड्स लगाए गए थे, ताकि कानून प्रवर्तन अधिकारियों को अंदर जाने से रोका जा सके। हालांकि, पुलिस ने गिरफ्तारी कर लिया।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और राजनीतिक स्थिरता

यूं सूक येओल की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। कई देशों ने इस घटना को दक्षिण कोरियाई लोकतंत्र की मजबूती के रूप में देखा है। हालांकि, राष्ट्रपति की गिरफ्तारी ने देश की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले समय में इसके प्रभावों पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।

ऐतिहासिक महत्व

दक्षिण कोरिया के इतिहास में यह पहली बार है जब किसी मौजूदा राष्ट्रपति को गिरफ्तार किया गया है। यह घटना न केवल देश की न्यायिक प्रणाली की शक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कानून के सामने सब एक समान हैं चाहे वे किसी भी पद पर हों।

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