कोलंबो: श्रीलंका में विधानसभा की 255 सीटों पर हुए आम चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो चुकी है। अब नतीजे भी आने शुरू हो गए हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी (एनपीपी) भारी जीत की ओर आगे बढ़ रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक, शुरुआती रुझानों में डिसनायके की एनपीपी गठबंधन ने 63 फीसदी वोटों के साथ भारी बढ़त बना ली है। अब तक आधे से ज्यादा बैलेट्स की गिनती हो चुकी है। एनपीपी ने 113 सीटों पर जीत का अनुमान जताया है।
दिसानायके की ‘नेशनल पीपुल्स पावर' (एनपीपी) को अगर 225 सदस्यीय संसद पर कब्जा जमाना है, तो उनको कम से कम 113 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। एनपीपी का गठन 2019 में हुआ था। यह श्रीलंका की राजनीतिक में नया दल है। एनपीपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके कई उम्मीदवार राजनीति में नए चेहरे हैं। उनका मुकाबला देश के अन्य पुराने दलों के उम्मीदवारों से हैं। राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे साजिथ प्रेमदासा और उनकी पार्टी ‘यूनाइटेड पीपुल्स पावर' एनपीपी के मुख्य विरोधी हैं।
तीन सीटों वाली एनपीपी भारी जीत की ओर
जिस एनपीपी के पास फिलहाल सिर्फ तीन सीटें ही थीं, वह करीब हर निर्वाचन क्षेत्र में सबसे आगे चल रही है। ये जनादेश दिखाता है कि श्रीलंका के लोग मौजूदा राष्ट्रपति को कितना पसंद करते हैं। अभूतपूर्व आर्थिक मंदी के दो साल बाद, जब तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को पद से हटा दिया गया था, तब भ्रष्टाचार से लड़ने और देश की चुराई गई संपत्ति को वापस पाने का वादा कर डिसनायके ने सितंबर में राष्ट्रपति पद संभाला था। अब एक बार फिर जनता उन पर भरोसा जता रही है।
श्री लंका में फिर दिसानायके सरकार!
राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने गुरुवार को आगे बढ़ने के लिए संसद में "मजबूत बहुमत" की उम्मीद जताई थी। श्रीलंका की राजधानी में एक पोलिंग बूथ पर अपना वोट डालने के बाद दिसानायके ने मीडिया से कहा था कि वह मानते हैं कि यह चुनाव बहुत ही अहम है, जो श्रीलंका के लिए बहुत ही अहम मोड़ साबित होगा। दिसानायके ने पहले ही भारी बहुमत की उम्मीद जताई थी। उन्हें यकीन था कि उनको बहुमत जरूर मिलेगा।
श्रीलंका में पिछली बार हुई थी ज्यादा वोटिंग
खास बात यह है कि श्रीलंका में 9 घंटे चलने वाला राष्ट्रपति चुनाव बिना किसी हिंसा के शांतिपूर्ण तरीके से गुजर गया। हालांकि ड्यूटी के दौरान बीमारी से एक पुलिस कांस्टेबल समेत तीन चुनाव कर्मियों की मौत हो गई, ये जानकारी पुलिस के हवाले से सामने आई है। श्रीलंका में चुनाव आयोग ने वोटिंग प्रतिशत 70 फीसदी से कम होने का अनुमान जताया था, जो कि सितंबर के राष्ट्रपति चुनावों की तुलना में कम है। उस समय श्रीलंका में करीब 80 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
श्रीलंका के लोगों को क्या है उम्मीद?
कोलंबो के वेलवाटे जिले में सबसे पहले वोट डालने वाले 70 साल के पेंशनर मिल्टन गैंकंडगे ने मीडिया से कहा, "मुझे एक नए देश, एक नई सरकार की उम्मीद है, जो लोगों के प्रति दोस्ताना हो। पिछली सरकारों ने हमें धोखा दिया था। हमें नई सरकार की जरूरत है, जो देश का विकास कर सके।"
राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसनायके के बारे में
राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसनायके करीब 25 सालों तक सांसद रहे।
वह कुछ समय तक देश के कृषि मंत्री भी रहे।
गठबंधन में उनकी एनपीपी के पास वर्तमान में सिर्फ 3 सीटें हैं।
देश को आर्थिक संकट से उबारने के वादे के साथ वह सत्ता में आए थे।
लोगों को डिसनायके पर विश्वास
डिसनायके की जेवीपी पार्टी ने 1971 और 1987 में दो विद्रोहों का नेतृत्व किया था, जिसमें करीब 80,000 मौतें हुई थीं। लेकिन डिसनायके को श्रीलंका के सबसे शांतिपूर्ण चुनावों में से एक कहे जाने वाले चुनाव के बाद शपथ दिलाई गई थी। विश्वविद्यालय के अकेडमिक शिवलोगादासन का कहना है कि डिसनायके को अपने वादे पूरे करने के लिए और वक्त चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ चीजें बदलने लगी हैं, लेकिन बदलाव की उम्मीद तुरंत नहीं की जा सकती।
'निवेशक का विश्वास'
श्रीलंका में संसद की 225 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं, जिनमें 8,880 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई। देश में गुरुवार को 9 घंटे तक मतदान चला था। शुरुआती रुझानों में एनपीपी जिस तरह बंपर जीत की ओर बढ़ रही है, उससे साफ है कि श्रीलंका के लोग एक बार फिर से डिसनायके पर विश्वास जता रहे हैं।