वाशिंगटन: अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप से मिली हार के बाद बुधवार को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस ने अपनी हार स्वीकार कर ली। उन्होंने वाशिंगटन डीसी में हावर्ड विश्वविद्यालय में अपने हजारों समर्थकों से कहा मैं इस चुनाव को स्वीकार करती हूं लेकिन मै लोकतंत्र और समान न्याय के लिए कभी नहीं छोडूंगी लड़ाई। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप ने जरूरी 277 इलेक्टोरल वोट का बहुमत हासिल कर जीत अपने नाम की। उन्होंने पेन्सिलवेनिया, जॉर्जिया, नॉर्थ कैरोलिना समेत अन्य स्विंग राज्यों में भी जीत हासिल की।
कमला हैरिस का संदेश
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हैरिस ने अपने समर्थको से कहा कि अब समय है स्वतंत्रता, न्याय और भविष्य के लिए एकजुट होने, संगठित होने और मिलकर काम करने का। हम सब जानते हैं कि हम यह साथ में कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिन की शुरुआत में उन्होंने ट्रंप को उनकी चुनावी जीत पर बधाई देने के लिए फोन किया था। फोन पर ट्रंप से बातचीत के दौरान उन्होंने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का वादा किया।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उनके समर्थकों में निराशा है लेकिन हमें चुनाव के नतीजों को स्वीकार करना चाहिए। मैं समझती हूं लेकिन हमें इस चुनाव के नतीजों को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे यह भी कहा कि हम उनकी मदद करेंगे और हम सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण में शामिल होंगे।
कमला की हार से उदास समर्थक
अमेरिकी चुनाव में कमला हैरिस की हार के बाद उनके समर्थकों के द्वारा निकाली गई रैली में माहौल बहुत ही उदास था। हज़ारों समर्थक शांत खड़े थे। हैरिस के अभियान के सहयोगी मंच के एक कोने में खड़े थे और गले मिल रहे थे। रैली में पूर्व हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी और डीसी मेयर म्यूरियल बोसर को भी देखा गया। रैली के बाद हैरिस के परिवार के कुछ सदस्य आंसू पोंछते हुए बाहर निकल रहे थे।
हालांकि कमला हैरिस नेसमर्थकों को देखते हुए जल्द ही आक्रामक मूड अपनाते हुए कहा कि वह और उनके समर्थक उस मुद्दे के लिए लड़ते रहेंगे जिसके लिए वे लड़े थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में हम किसी राष्ट्रपति या पार्टी के प्रति नहीं बल्कि अमेरिकी संविधान के प्रति और अपनी अंतरात्मा और अपने ईश्वर के प्रति वफ़ादारी के लिए वचनबद्ध हैं।
लड़ाई जारी रहेगी: हैरिस
हैरिस ने आगे कहा कि हम अपने लोकतंत्र, कानून के शासन, समान न्याय और इस पवित्र विचार के लिए लड़ते रहेंगे कि हम सभी के पास कुछ मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताएं हैं जिनका सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें बनाए रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि निराश होना ठीक है लेकिन यह भी समझें कि समय के साथ यह स्थिति बेहतर होगी।
उन्होंने कहा कि अभियान पर, मैं यह कहूंगी कि जब हम लड़ते हैं, तो हम जीतते हैं। लेकिन कभी-कभी लड़ाई कठिन हो जाती है। इसका मतलब यह नहीं कि हम जीत नहीं सकते। यह सिर्फ यह दिखाता है कि हमें और मेहनत करनी होगी।
अमेरिका को खतरनाक कमांडर-इन-चीफ की जरूरत: विवेक रामास्वामी
वहीं इस मामले में उद्यमी से राजनेता बने विवेक रामस्वामी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति-चुने गए डोनाल्ड ट्रंप की वापसी अमेरिकी वापसी है, और वर्तमान समय में देश को एक "बद्दास कमांडर-इन-चीफ" की जरूरत थी, और यही उसे मिला है। उन्होंने कहा कि केवल 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में लोकप्रिय मतों और चुनावी कॉलेज वोटों दोनों में जीत हासिल की, बल्कि उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट पर भी नियंत्रण दिलाया।
रामस्वामी ने आगे कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने आधुनिक इतिहास में किसी भी राष्ट्रपति से सबसे बड़े मार्जिन से क्यों जीत हासिल की। वह एक विचारक नहीं हैं, वह एक नीति विशेषज्ञ नहीं हैं। वह एक अमेरिकी बद्दास हैं। उन्होंने उन्हें अपात्र ठहराने, जेल भेजने, और दो बार जान से मारने की कोशिश की। इनमें से कोई भी काम नहीं आया।