इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 पर भारत के उच्चतम न्यायालय के फैसले का ‘‘कोई कानूनी महत्व नहीं’’ है। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत की 5 अगस्त, 2019 की ‘‘एकतरफा और अवैध कार्रवाइयों’’ को मान्यता नहीं देता है।
उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखा, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।।
वह इस फैसले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ से शिकायत करेगा। दिलचस्प बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ अब कश्मीर को विवादित मुद्दा नहीं मानते हैं। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र की तमाम बैठकों में अब पहले की तरह कश्मीर के मुद्दे को एजेंडे में भी शामिल नहीं किया जाता है।
खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत सच साबित करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को भारत की तरफ से की गई एकतरफा और अवैध कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून मान्यता नहीं देते हैं। लिहाजा, इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी कोई कानूनी मूल्य नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के मुताबिक कश्मीरियों को आत्मनिर्णय का अपरिहार्य अधिकार है।
वहीं, पूर्व पीएम और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने फैसले की आलोचना करते हुए इसे पक्षपातपूर्ण निर्णय बताया। शरीफ ने कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ फैसला देकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। पक्षपाती फैसले से कश्मीरी संघर्ष में कोई कमी नहीं आएगी।
पीओके पाक से मांग रहा आजादी
बार-बार मुंह की खाने के बाद भी पाकिस्तान बेशर्मी से कश्मीर राग अलापने से नहीं चूक रहा। जबकि, अपने अवैध कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के हालात दिन-ब-दिन खराब हो रहे हैं। पीओके में लोग पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करते हैं। उनका आरोप है कि पाकिस्तान ने उनके संसाधनों का दोहन किया है और सेना स्थानीय लोगों का शोषण कर रही है। सोशल मीडिया पर आए दिन ऐसे वीडियो सामने आते हैं, जिसमें पीओके निवासी पाकिस्तान से आजादी की मांग करते दिखते हैं।