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इस्‍लामाबाद: कश्‍मीर मसले पर पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत को धमकी भरे अंदाज में चेताया है। कश्‍मीर के हालात पर बुधवार को पाकिस्‍तान में मनाए जा रहे काला दिवस (ब्‍लैक डे) के मौके पर नवाज ने भारत को खुलेआम धमकी दी है। पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कभी कश्‍मीर नहीं छोड़ेंगे। हमारा देश पाकिस्‍तान कश्‍मीर की लड़ाई लड़ता रहेगा। नवाज ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि कश्‍मीर में हो रहे संघर्ष के सामने भारत को हार माननी ही होगी। कश्‍मीर से हमारा खून का रिश्‍ता है। कश्‍मीर कभी भारत का अंदरुनी मामला नहीं हो सकता है। नवाज ने यह भी कहा कि कश्‍मीर के मौजूदा हालात को लेकर पूरा पाकिस्‍तान आज ब्‍लैक डे मनाएगा। गौर हो कि जम्मू-कश्मीर में दंगे भड़काने की साजिश रचने में पाकिस्तान और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भूमिका जगजाहिर हो चुकी है। इससे पहले, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को कश्मीर में मुठभेड़ में मारे गए हिज्बुल आतंकवादी बुरहान वानी को ‘शहीद’ करार दिया और कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा कश्मीरियों के खिलाफ किए जा रहे ‘अत्याचार’ के खिलाफ 19 जुलाई को ‘काला दिवस’ मनाया जाएगा। लाहौर में कश्मीर में हालात पर चर्चा के लिए बुलाई गई कैबिनेट की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि ‘कश्मीरियों का आंदोलन आजादी का आंदोलन’ है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कश्मीरियों को आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए उनके उचित संघर्ष में नैतिक, राजनीतिक और राजनयिक समर्थन देना जारी रखेगा। रेडियो पाकिस्तान ने खबर दी है, ‘प्रधानमंत्री ने बुरहान वानी को स्वतंत्रता आंदोलन का शहीद करार दिया।’ शरीफ ने कहा कि भारत की बर्बरताएं स्वतंत्रता के लिए संघर्ष को मजबूती प्रदान करेगी और कश्मीरी लोग आत्मनिर्णय का अपना अधिकार हासिल करेंगे जिसके लिए पूरा पाकिस्तान उनके पीछे खड़ा है। प्रधानमंत्री ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया है कि वे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में कश्मीर मुद्दे को उठाएं। प्रधानमंत्री शरीफ के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने ‘कब्जे वाले कश्मीर में भारत की बर्बरता के खिलाफ 19 जुलाई को काला दिवस मनाने का’ फैसला किया है। कैबिनेट की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि 19 जुलाई को देश में काला दिवस मनाया जाएगा ताकि कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों के अत्याचारों की ओर अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान खींचा जा सके। कैबिनेट ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपना ‘अधूरा एजेंडा’ पूरा करने के लिए प्रयास फिर शुरू करे और अपने प्रस्तावों को लागू कराना सुनिश्चित करे ‘ताकि कश्मीरियों को आत्म-निर्णय का अधिकार मिल सके।’

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