इस्लामाबाद: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर शनिवार मध्यरात्रि को हुए मतदान में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। नेशनल असेंबली के इस अहम सत्र की अध्यक्षता कर रहे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अयाज सादिक ने कहा कि नए प्रधानमंत्री के चुनाव के लिए नामांकन पत्र रविवार दोपहर दो बजे तक दाखिल किए जा सकते हैं और इनकी जांच दोपहर तीन बजे तक होगी। विपक्ष ने शहबाज़ शरीफ़ को अपना पीएम उम्मीदवार घोषित किया है। मुल्क के नए प्रधानमंत्री को चुनने के लिए सदन की अगली बैठक 11 अप्रैल को दोपहर दो बजे शुरू होगी।
इस बीच, इमरान खान के देश छोड़ने पर रोक लगा दी गई है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इमरान खान के खिलाफ याचिका भी दायर की गई है। इमरान के अलावा फवाद चौधरी और शाह महमूद के खिलाफ भी याचिका दायर की गई है। तीनों का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) लिस्ट में डाले जाने की मांग की गई है। याचिका पर 11 अप्रैल को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
खान के प्रधानमंत्री पद से हटते ही उनके करीबियों पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है। अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद खान के पार्टी प्रवक्ता डॉ. अर्सलान खालिद के घर पर रात में ही छापेमारी की गई है। इस दौरान उनके घरवालों के फोन छीन लिए गए। इमरान खान की पार्टी ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है।
इमरान खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटाया गया है। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के समय 69 वर्षीय खान निचले सदन में उपस्थित नहीं थे और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के सांसदों ने भी वोटिंग से वॉकआउट किया।
शनिवार को पूरे दिन में पल-पल बदलते घटनाक्रम के बाद देर रात को शुरू हुए मतदान के नतीजे में संयुक्त विपक्ष को 342-सदस्यीय नेशनल असेंबली में 174 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जो प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने के लिए आवश्यक बहुमत 172 से अधिक रहा। गौरतलब है कि 1947 से आज तक किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है।
जियो न्यूज के हवाले से कहा गया है कि इमरान खान ने पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले तीन शर्तें रखी थीं। उन्होंने कहा कि पद छोड़ने के बाद उनकी गिरफ्तारी न हो। साथ ही शहबाज शरीफ की जगह किसी और को प्रधानमंत्री बनाया जाए। तीसरी शर्त में उन्होंने कहा है कि पद छोड़ने के बाद उनके खिलाफ एनएबी के तहत कोई भी केस दर्ज ना किया जाए।