इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में शनिवार, 9 अप्रैल को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया गया। इमरान खान पाकिस्तान नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव वोट में विफल रहे। इमरान खान सरकार गिर गई है। शहबाज शरीफ के पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री होने की संभावना है। खान संसद के अंदर मौजूद नहीं थे।
पाकिस्तान में शनिवार को दिन भर चले हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद देर रात अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई। लेकिन वोटिंग का एलान करने के बाद स्पीकर ने पद से इस्तीफा दे दिया और कार्यवाहक स्पीकर के दिशा निर्देशन में मतदान प्रारंभ हुआ। विपक्ष का दावा है कि उसके पास इमरान खान सरकार के खिलाफ पर्याप्त वोट हैं। वहीं वोटिंग के बीच ही सत्तारूढ़ पीटीआई के सांसद नेशनल असेंबली से बाहर निकल गए। सिर्फ विपक्षी सांसद ही नेशनल असेंबली में रह गए। इमरान ने भी प्रधानमंत्री आवास भी छोड़ दिया और बनीगाला के लिए रवाना हो गए।
इससे पहले पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने रात 10 बजे कैबिनेट बैठक बुलाई थी, जिसमें उनकी सरकार को गिराने की कथित विदेशी साजिश से जुड़ा गोपनीय पत्र सीनेट चीफ, नेशनल असेंबली स्पीकर औऱ चीफ जस्टिस के साथ साझा करने का निर्णय़ हुआ। सूत्रों ने कहा कि बैठक में तय हुआ कि इमरान खान इस्तीफा नहीं देंगे। वहीं विपक्षी दलों ने अदालती आदेश की नाफरमानी को लेकर इमरान खान की गिरफ्तारी की मांग की थी। खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर उता बांदियाल ने रात 12 बजे सुनवाई की तैयारी कर ली थी। नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने देर रात तक अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराए जाने की इजाजत नहीं दी थी। हालांकि यह नौबत नहीं आई।
नेशनल असेंबली में नो कान्फिडेंस प्रस्ताव पर कई बार मतदान स्थगित किए जाने के बीच विपक्ष ने संयुक्त तौर पर स्पीकर को एक पत्र सौंपा। विपक्ष ने आगाह किया कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होती है तो इमरान खान समेत सभी संबंधित अधिकारी अवमानना और कानून के मुताबिक अन्य मामले में सजा के लिए जवाबदेह होंगे।
पाकिस्तान में सियासी संकट के बीच सभी एय़रपोर्ट पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। पाकिस्तान मीडिया के सूत्रों के मुताबिक, यह आदेश दिया गया है कि बिना इजाजत के कोई भी सरकारी अधिकारी या नेता देश छोड़कर नहीं जाने पाए। ऐसी खबरें थीं कि इमरान खान पद छोड़ने के लिए तीन शर्तों में एक शर्त यह भी रखी थी कि उनके समर्थकों नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव के पहले नया ड्रामा सामने आया। पाकिस्तानी समयानुसार रात 12 बजे के 15 मिनट पहले सुप्रीम कोर्ट का अल्टीमेटम खत्म होने के कुछ मिनट पहले स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन साथ ही अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए कार्यवाही आगे बढ़ाई।
इससे पहले पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी और एक अन्य मंत्री ने अपने ट्विटर प्रोफाइल को बदल दिया था, जिसमें उनके नाम के आगे पूर्व मंत्री लिखा था। इसको लेकर अटकलें थीं कि इमरान खान कैबिनेट बैठक के बाद पूरे मंत्रिमंडल के साथ इस्तीफा दे सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान के लिए नेशनल असेंबली का सत्र स्थानीय समयानुसार पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे शुरू हुआ। लेकिन देर शाम तक पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराए जाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई है, ऐसे में मतदान होगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।
पाकिस्तान में नाटकीय घटनाक्रम के बीच ऐसी खबरें भी आई थीं कि इमरान खान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और कुछ अन्य अधिकारियों को बर्खास्त भी कर सकते हैं। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इमरान खान ने ऐसी खबरों को खारिज किया है।
इससे पहले नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने इसे एक ऐतिहासिक दिन के रूप में स्वागत किया और कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने देश का भविष्य ‘‘उज्ज्वल'' बना दिया है। उन्होंने स्पीकर असद कैसर से अदालत के निर्देशों के अनुसार कार्यवाही करने का आह्वान किया और कहा कि संसद आज इतिहास लिखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘आज संसद एक चुने हुए प्रधानमंत्री को संवैधानिक तरीके से हराने जा रही है।''
शहबाज ने स्पीकर से कहा कि जो बीत गया, उसे छोड़ दें और कानून और संविधान के लिए खड़े हों। उन्होंने स्पीकर से अपनी भूमिका निभाने और अपना नाम ‘‘इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखने'' का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘आपको इस क्षण पूरे विश्वास के साथ और अपने विवेक से चलना चाहिए। प्रधानमंत्री के निर्देश पर नहीं जाएं।'' जिस पर स्पीकर ने शहबाज को आश्वासन दिया कि वह कानून और संविधान के अनुसार कार्यवाही करेंगे। प्रधानमंत्री खान को पद से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है।