इस्लामाबाद: पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के खिलाफ वहां की संसद नेशनल असेंबली में आज अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है। दो दिन पहले ही पाक सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने और अविश्वास प्रस्ताव को नेशनल असेंबली से खारिज करने के फैसले को रद्द कर दिया था और 48 घंटों के अंदर वोटिंग कराने को कहा था।
इधर, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से कुछ घंटे पहले, राष्ट्र के नाम एक संबोधन में, प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने समर्थकों से रविवार शाम को उनके साथ सड़क पर उतरने का आह्वान किया। समर्थकों से उन्होंने कहा कि ‘‘नयी आयातित सरकार'' के सत्ता में आने पर वे रविवार को देशभर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करें।
नेशनल असेंबली में खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतविभाजन में कोई चमत्कार होने की उम्मीद नहीं है। खान ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष के विवादित फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त किये जाने को लेकर भी निराशा व्यक्त की।
माना जा रहा है कि इमरान खान सरकार गिरने के बाद पीएमएल (नवाज) के नेता शाहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री बन सकते हैं. शाहबाज शरीफ के पीएम बनने के बाद उनके भाई और पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ पाकिस्तान लौट सकते हैं. पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी दलों को 342 सदस्यीय सदन में 172 सदस्यों की आवश्यकता है। हालांकि उन्होंने इससे अधिक संख्या का पहले ही समर्थन दिखा दिया है। अब खान पाकिस्तान के इतिहास में पहले ऐसे प्रधानमंत्री हो सकते हैं, जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।
डिप्टी स्पीकर सूरी के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव
पाकिस्तान में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में, विपक्ष ने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के खिलाफ भी एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें तीन आरोप शामिल हैं। सूरी ने ही 3 अप्रैल को इमरान खान सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया था।
किसी भी पीएम ने पूरा नहीं किया 5 साल का कार्यकाल
पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। अब इमरान खान पर भी तलवार लटकी है और उनका जाना तय है। खान ने अपने संबोधन में कहा, ''मैं उच्चतम न्यायालय और न्यायपालिका का सम्मान करता हूं, लेकिन शीर्ष अदालत को अपना फैसला देने से पहले एक धमकी भरे पत्र पर गौर करना चाहिए था।'' उन्होंने कहा, ''मैं फैसले से दुखी हूं, लेकिन मैं इसे स्वीकार करता हूं।''
सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया था फैसला
प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल के नेतृत्व वाली पांच-सदस्यीय पीठ ने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष का फैसला बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही नेशनल असेंबली को बहाल करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि नेशनल असेंबली भंग करने और समय से पहले चुनाव कराने का प्रधानमंत्री का कदम ''असंवैधानिक'' था।