संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया है। मीडिया रिर्पोटस के मुताबिक, यूक्रेन के बुचा शहर में हत्याओं के बाद यह कदम उठाया गया है। महासभा ने वैश्विक निकाय के प्रमुख मानवाधिकार संगठन से रूस को निलंबित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानकारी के अनुसार, 93 देशों ने रूस को यूएनएचआरसी से बाहर करने के पक्ष में वोट किया। भारत सहित 58 देशों ने वोटिंग से परहेज किया। चीन सहित 24 देशों ने रूस को बाहर करने के प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया। गौरतलब है कि यूक्रेनी शहर बुचा से रूसी सैनिकों की वापसी के बाद शहर में दर्जनों लोग मृत पाए गए। इसकी दुनिया भर में निंदा हुई है, लेकिन मॉस्को ने इसमें शामिल होने से इंकार किया है और खबरों को फर्जी करार दिया था।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नागरिकों की मौत में किसी भी भागीदारी से इंकार किया है। उन्होंने यू्क्रेनी अधिकारियों पर खबरों को 'गढ़ने' का आरोप लगाया है। अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देशों ने बुचा में रूस की ओर से किए गए इस नरसंहार की कड़े शब्दों में निंदा की है।
ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, “जब आप देखते हैं कि बुचा में क्या हो रहा है, तो मुझे डर लगता है कि जो खुलासे हो रहे हैं कि पुतिन ने यूक्रेन में क्या किया है, वह मेरे लिए नरसंहार से कम नहीं हैं।” इस बीच बुचा के वीडियो सामने आने के बाद रूस पर और सख्त प्रतिबंधों की मांग जोर पकड़ने लगी है।
अमेरिका ने कल रूस के राष्ट्रपति पुतिन की बेटियों के साथ ही रूस के शीर्ष सार्वजनिक और निजी बैंकों पर भी प्रतिबंध की घोषणा की थी। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावारोव और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव व पीएम मिखाइल मिशुस्तिन सहित रूस की सुरक्षा परिषद के सदस्यों पर भी प्रतिबंध लागू किए गए हैं। इन प्रतिबंधों को यूक्रेन पर हमले को लेकर देश की अर्थव्यवस्था और अभिजात्य वर्ग पर और अधिक दबाव बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है। अमेरिका की ही राह पर चलते हुए ब्रिटेन ने बुधवार को घोषणा की थी कि उसने रूस पर और प्रतिबंध लगाए हैं, इन प्रतिबंधों में देश के सबसे बड़े बैंक स्बेरबैंक की संपत्ति के लेन-देन पर पूर्ण रोक और ब्रिटेन से रूस जाने वाले सभी निवेश को समाप्त करना शामिल है।