कोलंबो: श्रीलंका के कैंडी शहर में सैकड़ों छात्रों ने श्रीलंका के आर्थिक संकट के विरोध में सरकार द्वारा लगाए गए सप्ताहांत कर्फ्यू का विरोध करते हुए इसका उल्लंघन किया। बिजली कटौती के साथ-साथ देश भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजों की भारी कमी का सामना कर रहा है।
श्रीलंका संकट से जुड़ी अहम जानकारियां:
श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे की सरकार के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने एक साझा पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सरकार के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच नई कैबिनेट के गठन का रास्ता साफ किया है। यह पत्र पीएम के पास है, जिसे वो राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सौंपेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे और नई कैबिनेट का गठन जल्द ही करेंगे।
पहले खबरें आई थीं कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के सबसे बड़े बेटे नमल राजपक्षे ने पद से इस्तीफा दे दिया है। ये देश में पैदा हुए संकट के बीच नमल ने युवा मामलों और खेलकूद मंत्रालय से पद छोड़ दिया है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर बैन की आलोचना भी की थी। वहीं श्रीलंका में आपातकालू लागू होने के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे की अटकलों को उनके कार्यालय ने गलत बताया है। देश में खाद्य पदार्थों, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के भारी संकट के बीच उन पर पद छोड़ने का भारी दबाव बना हुआ है।
छात्रों ने रविवार को आर्थिक संकट के खिलाफ पेराडेनिया के बाहर प्रदर्शन किया। सरकार द्वारा लगाए गए एक सप्ताहांत कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछार का इस्तेमाल किया। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे औऱ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को हटाने के लिए नारेबाजी की।
श्रीलंका में शनिवार शाम 6 बजे से 36 घंटों के राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू का उल्लंघन करने और बदहाल आर्थिक संकट के मद्देनजर सरकार-विरोधी रैली आयोजित करने का प्रयास करने पर रविवार को देश के पश्चिमी प्रांत में 600 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। राजधानी कोलंबो में विपक्षी नेताओं के मार्च में 100 से अधिक लोग शामिल हुए। इससे पहले पुलिस और राइफलें लिए हुए सैनिकों के एक बड़े समूह ने विपक्ष के नेता साजित प्रेमदासा के घर के पास मार्च को रोक लिया। यह कर्फ्यू सोमवार सुबह खत्म होगा।
सरकार द्वारा सप्ताहांत कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए विपक्षी सांसदों ने अपने नेता सजित प्रेमदासा के नेतृत्व में यहां ऐतिहासिक चौराहे की ओर विरोध मार्च शुरू किया था। सरकार ने प्रदर्शन के पूर्व नियोजित कार्यक्रम के मद्देनजर सप्ताहांत कर्फ्यू की घोषणा की थी।
प्रेमदासा ने कहा, ‘‘हम प्रदर्शन करने से संबंधित जनता के अधिकारों के हनन के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश लागू करने का विरोध कर रहे हैं।'' ‘कोलंबो गज़ट' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को पश्चिमी प्रांत में कुल 664 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। रविवार को ‘अरब स्प्रिंग' शैली में प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन से पहले देशव्यापी कर्फ्यू घोषित किया गया था।
श्रीलंका सरकार ने शनिवार रात को सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म (फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और यूट्यूब) को बंद कर दिया था ताकि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को शांत किया जा सके।
राष्ट्रपति गोटाबायो राजपक्षे ने शुक्रवार की देर रात एक विशेष गज़ट अधिसूचना जारी करके श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लगा दिया था। सरकार ने रविवार को सोशल मीडिया तक जनता की पहुंच को समाप्त करने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगाने का आदेश दिया था तथा लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर रोक लगा दी थी।
राजपक्षे के भतीजे एवं खेल मंत्री नमल राजपक्षे ने संवाददाताओं से कहा कि इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध अनुपयोगी है, क्योंकि बहुत सारे लोग सोशल मीडिया साइट से जुड़ने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करेंगे।
श्रीलंका सरकार ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत और भारत और चीन से कर्ज की मांग कर रही है। नई दिल्ली ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह वित्तीय सहायता के हिस्से के रूप में कोलंबो को एक बिलियन अमेरिकी डालर की लाइन ऑफ क्रेडिट का विस्तार करेगी ताकि उसे पेट्रोलियम खरीदने में मदद मिल सके।