मास्को: रूस ने अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से काबुल में मौजूद नई सरकार को सक्रियता से सहयोग करने की अपील की है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बताया कि रूस के विदेश मंत्रालय ने मास्को में भेजे गए पहले राजनयिक को मान्यता दे दी है। रूस की सरकारी समाचार एजेंसी इतरतास के अनुसार रूस पहला ऐसा देश बन गया है जिसने अफगानिस्तान को मान्यता दे दी है। रूस के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि पिछले माह मास्को में तैनात हुए तालिबानी सरकार के पहले राजदूत को उनके देश ने मान्यता दे दी है। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने यह जानकारी अपने सहयोगी देशों चीन, ईरान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान से साझा की है।
चीनी शहर तुनेक्सी में अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के तीसरे मंत्री स्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मास्को की ही तरह तालिबान सरकार तेहरान, दोहा, ओस्लो और अंतालिया में भी अपने विदेशी साझीदारों से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तर पर संपर्क में रहती है।
लावरोव ने कहा कि रूस ने महसूस किया है कि धीरे-धीरे अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने क्षेत्र के अन्य देशों के साथ आर्थिक सहयोग में सुधार किया है। इससे इस देश में रुचि बढ़ती है। इन संपर्कों से अफगानिस्तान के नए प्रशासन को अंतराष्ट्रीय मान्यता मिलने का रास्ता खुलता है।
उन्होंने बताया कि तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ उन्होंने बैठक की है। हमें लगता है कि अन्य देशों को भी तालिबान सरकार को मान्यता देनी चाहिए, ताकि उसे संयुक्त राष्ट्र से मान्यता मिल सके। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने के लिए छटपटा रहा है। लेकिन उसकी सरकार को अभी तक किसी भी देश ने औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। इस बीच, ब्रिटेन, जर्मनी और कतर के समर्थन वाले संयुक्त राष्ट्र के सहायता संयोजन कार्यालय ने अफगानिस्तान को 4.4 अरब डालर की सबसे बड़ी सहायता देने के लिए धन एकत्र करने की उम्मीद जताई है।
अफगानी खनिज के लालच में चीन की तालिबान सरकार को मान्यता की कोशिश
बीजिंग: चीन तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की सरकार को मान्यता देने की हड़बड़ी में नजर आ रहा है। उसकी नजर अब युद्धग्रस्त देश के खनिजों के खजाने पर है। इन दुलर्भ तत्वों और खनिजों की कीमत तीन लाख करोड़ डालर आंकी गई है। चीन अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के जरिये एक अवसरवादी देश के रूप में अफगानिस्तान के खराब हालात का भरपूर फायदा उठाते हुए अफगानिस्तान में भी इस योजना का जाल फैलाने का मन बनाया है।