इस्लामाबाद: विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आज राष्ट्र को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैंने आपको लाइव संबोधित करने का फैसला किया है। इस मौके पर उन्होंने इंसान और इंसानियत के बारे में बात की। इमरान ने कहा कि मुल्क अपने इतिहास में एक निर्णायक क्षण में पहुंच गया है। आज आपसे मुल्क की मुस्तकबिल के बारे में अहम बात करूंगा। हमारे सामने दो रास्ते हैं, हमें कौन सा रास्ता अख्तियार करना है, इससे पहले आपसे दिल की बातें करूंगा।
उन्होंने कहा कि आजाद लोग ही आत्मसम्मान का महत्व जानते हैं। खुशनसीब हूं कि मैं आजाद पकिस्तान में पैदा हुआ। मेरे माता-पिता हमेशा कहा करते थे तुम खुशनसीब हो कि आजाद मुल्क में पैदा हुए। उन्हें अंग्रेजी हुकूमत से बुरा लगा था। पाकिस्तान मुझसे महज पांच साल बढ़ा है। मैं आजादी के बाद पैदा होने वाली मुल्क की पहली पीढ़ी से हूं।' उन्होंने कहा, 'एक बच्चे के रूप में मुझे याद है कि पाकिस्तान आगे बढ़ रहा था। कोरिया यह जानने के लिए पाकिस्तान आया था कि हम कैसे बढ़े।'
इमरान ने कहा, 'जब मैंने राजनीति ज्वाइन करने का फैसला किया तो लोगों ने कहा कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं। खुदा ने मुझे सब कुछ बख्शा है और मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूं। मैं एक मिशन के तहत सियासत में आया.जब मैं राजनीति में आया, मेरे तीन लक्ष्य थे-न्याय, मानवता और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना। मैं सियासत में इसलिए आया क्योंकि मुझे लगा कि जिस पाकिस्तान के लिए जिन्ना ने लड़ाई की, यह वह पाकिस्तान तो है ही नहीं। उन्होंने कहा, 'मैं इंसाफ, खुद्दारी के लिए सियासत में आया। मुसलमान कौम किसी की गुलामी नहीं करती। अल्लाह के अलावा किसी के आगे नहीं झुकती। मैं किसी के आगे नहीं झुकता, न ही झुकूंगा। न ही अपनी कौम को झुकने दूंगा। अपने संबोधन में खान ने ‘धमकी भरे पत्र' के सिलसिले में संदेह के दायरे में आए देश के तौर पर अमेरिका का नाम लिया। उन्होंने कहा कि तीन कठपुलियां विदेशी ताकतों के साथ काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान दहशतगर्दीं के खिलाफ है। कबाइली इलाके इसके बारे में बेहतर तरीके से जानते हैं। न मैं एंटी हिंदुस्तान हूं और न ही एंटी अमेरिका हूं। भारत और अमेरिका में मेरे बहुत से दोस्त हैं। मेरी किसी से दुर्भावना नहीं है। मैं केवल उनकी नीतियों का आलोचक हूं।' उन्होंने कहा कि हमसे कहा गया था कि अगर हमने अमेरिका का समर्थन नहीं करते हैं तो यह हमारे लिए अच्छा नहीं होगा। 9/11 के दौरान हमने कहा था कि अगर अमेरिका में कोई आतंकवादी घटना होती है तो हमें उनकी सहायता करनी चाहिए। लेकिन यह हमारी लड़ाई नहीं थी। उन्होंने कहा कि अमेरिका का हिमायती बनना, परवेज मुशर्रफ की बड़ी गलती थी, मैं आजाद विदेश नीति का पक्षधर हूं। पाकिस्तान के पीएम ने कहा, 'मैं क्रिकेटर रहा हूं। आखिरी गेंद तक हार नहीं मानूंगा। मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। आखिर तक यह लड़ाई लडूंगा।' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का भविष्य रविवार को तय होगा। अविश्वास प्रस्ताव, पाकिस्तान का भविष्य तय करेगा।