वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के प्रमुख वादों में से एक को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और इसके तहत वे कई कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे जिनमें मैक्सिको के साथ सीमा पर एक दीवार बनाने का वादा भी शामिल है। इसके साथ ही संभावना इस बात की भी है कि ट्रंप कुछ मुस्लिम देशों से आव्रजन पर रोक लगा सकते हैं। दी न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप मैक्सिको के साथ दीवार के निर्माण का आदेश दे सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने की कार्रवाई में उनका पहला कदम होगा। सीमा पर दीवार का निर्माण ट्रंप के प्रचार अभियान का प्रमुख हिस्सा था जिसका मकसद अवैध आप्रवासियों की भीड़ को रोकना था। ट्रंप ऐसे शरणार्थियों की संख्या में भी कटौती करेंगे जो अमेरिका में बस सकते हैं और साथ ही वह सीरिया तथा अन्य आतंक संभावित राष्ट्रों के नागरिकों के प्रवेश को भी रोकेंगे। कम से कम अस्थायी तौर पर तो जरूर। वह इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के कुछ प्रवासियों को स्थायी या अस्थायी तौर पर निलंबित करने की दिशा में भी आगे बढ़ सकते हैं। योजना से जुड़े कुछ सूत्रों ने यह जानकारी दी। एबीसी न्यूज ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। ट्रंप ने ट्वीट किया है, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर कल एक बड़े दिन की योजना। बहुत सारी अन्य चीजों के साथ हम दीवार का निर्माण करेंगे।’ ट्रंप ने किसी समय गोपनीय रहे ब्लैक साइट हिरासत कार्यक्रम को बहाल करने, ग्वांतानामो बे में कारागार को खुला रखने तथा मुस्लिम ब्रदरहुड को एक आतंकी संगठन घोषित करने की भी योजना है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप द्वारा इस सप्ताह विधि सम्मत आप्रवासियों को भी निशाना बनाए जाने की संभावना है।
इसके लिए वह दशकों से जारी उस कार्यक्रम को रोक सकते हैं जिसके तहत अमेरिका दशकों से विश्व के सर्वाधिक संवेदनशील और पीड़ित लोगों को शरण देता आया है। यह योजना मुस्लिम आप्रवासियों पर रोक लगाने की ट्रंप की चुनाव प्रचार अभियान की योजनाओं का हिस्सा है जिसके पीछे तर्क यह दिया गया था कि आतंकवाद संबंधी चिंताओं को देखते हुए इस प्रकार का कदम वांछित है। आव्रजन के पैरोकारों और मानवाधिकार समूहों ने इसकी कड़ी आलोचना की थी जिन्होंने इसे भेदभावकारी कदम बताया था। नेशनल इमीग्रेशन लॉ सेंटर की कार्यकारी निदेशक मारिलेना हिनकेपी ने कहा, ‘यह सोचकर कि ट्रंप के पहले सौ दिनों को हमारे देश में शरण चाहने वाले लोगों के लिए दरवाजे बंद करने के शर्मनाक दिनों के रूप में याद किया जाएगा तो यह बेहद चिंता की बात है।’