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वॉशिंगटन: अमेरिका चीन को यह ‘स्पष्ट संकेत’ देगा कि दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर उसे अपने कृत्रिम द्वीपों को खाली कर देना चाहिए। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विदेश मंत्री पद के लिए नामित रेक्स टिलरसन ने विवादित जलक्षेत्र में साम्यवादी दिग्गज चीन की ‘बेहद चिंताजनक’ गतिविधियों पर हमला बोलते हुए यह चेतावनी दी। अपने नामांकन की पुष्टि संबंधी सुनवाई के लिए सीनेट की विदेशी मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए एक्सॅन मोबिल के पूर्व सीईओ 64 वर्षीय रेक्स ने कहा, ‘पहले हम चीन को स्पष्ट संकेत भेजेंगे कि वह द्वीप निर्माण बंद कर दे और दूसरा यह कि उन द्वीपों में आपके दखल की इजाजत नहीं है।’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र में चीन की गतिविधियां चिंता पैदा करती हैं और मुझे फिर यही लगता है कि इस पर प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने से वह इस दिशा में आगे बढ़ता रहा है।’ उन्होंने कहा कि विवादित जलक्षेत्र में चीन की द्वीप निर्माण की गतिविधियां और पूर्वी चीन सागर में जापान नियंत्रित सेनकाकू द्वीपों के ऊपर चीन द्वारा हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र की घोषणा ‘गैरकानूनी गतिविधियां’ हैं। उन्होंने कहा कि चीन उस क्षेत्र को अपने अधिकार में ले रहा है, नियंत्रण में ले रहा है या नियंत्रण में लेने की घोषणा कर रहा है जो कायदे से उसका नहीं है। उन्होंने द्वीप निर्माण और उन पर सैन्य संसाधनों को स्थापित करने की तुलना रूस द्वारा क्रीमिया पर अधिकार जमाने से की।

टिलरसन ने कहा कि अगर चीन को इस जलक्षेत्र से आवागमन के नियम कायदों का किसी भी रूप में निर्धारण करने दिया जाएगा तो इससे ‘पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था’ को खतरा है। यह वैश्विक मुद्दा कई देशों के लिए, हमारे महत्वपूर्ण सहयोगियों के लिए बेहद अह्म है। टिलरसन ने पर्याप्त संकेत दिए कि ट्रंप प्रशासन के दौरान चीन के प्रति अमेरिका का रूख कड़ा होगा। उन्होंने कहा कि चीन को अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘उनकी कुछ गतिविधियों को हेग की अदालतों में पहले ही चुनौती दी जा चुकी है और उनमें उल्लंघन पाया गया है।’ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता वाले दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर चीन अपना दावा जताता है। हालांकि उसके दावों का फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताईवान कड़ा विरोध करते हैं। गत वर्ष एक अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण ने व्यवस्था दी थी कि चीन के दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। हालांकि इस आदेश को बीजिंग ने अस्वीकार कर दिया था। सांसदों के सवालों के जवाब में टिलरसन ने कहा कि चीन के प्रति ‘नया रूख’ अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘आज जो भी परेशानियां हैं उसकी वजह यह है कि हम जो कुछ भी कहते हैं उसे कड़ाई से लागू नहीं करते। इससे मिलाजुला संदेश जाता है जैसा कि उत्तर कोरिया के मामले में हुआ और चीन के प्रति हमारी उम्मीदों में भी देखा गया।’ टिलरसन ने कहा, ‘हमें यह स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि चीन कितना आगे बढ़ सकता है। चीन के प्रति हमारी उम्मीदें क्या हैं उसे यह समझाने के लिए हमें नया रूख अपनाना होगा।’ उन्होंने सांसदों को भरोसा दिलाया कि दक्षिण कोरिया और जापान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका प्रतिबद्ध है।

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