वॉशिंगटन: निवर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुजैन राइस का कहना है कि अमेरिका के सामने विभिन्न स्रोतों से पहले से कहीं ज्यादा खतरे हैं और ओबामा प्रशासन ने इन चुनौतियों से कारगर तरीके से निपटने के लिए भारत जैसी उभरती शक्तियों के साथ नए रिश्ते विकसित किए हैं। राइस ने वॉशिंगटन में एक शीर्ष अमेरिकी विचार समूह ‘यूएस इन्स्टीट्यूट ऑफ पीस’ (यूएसआईपी) में अपने संबोधन में कहा, ‘अमेरिकियों के सामने पहले की तुलना में कहीं ज्यादा खतरे हैं जो अलग-अलग तरह के हैं और उनके स्रोत भी अलग-अलग हैं। इन खतरों में रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशेत्तर तत्वों से लेकर आईएसआईएल जैसे आतंकवादी शामिल हैं जो नयी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘इनमें जलवायु परिवर्तन, इबोला जैसी महामारी, मादक द्रव्यों और हथियारों का गैरकानूनी प्रसार जैसे अंतरराष्ट्रीय खतरे भी शामिल हैं जो हमारे तटों तक पहुंच सकते हैं।’ राइस ने यूएसआईपी में दिन भर चले ‘पासिंग द बेटॅन’ सम्मेलन में कहा कि एक वैश्विक नेता और पक्षधारी के तौर पर अमेरिका के सामने, बड़ी वैश्विक शक्तियों एंव क्षेत्रीय ताकतों के मध्य बढ़ते तनाव तथा उनके अंदर प्रशासन की चुनौतियों के चलते एक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती है। राइस ने कहा कि यूक्रेन और सीरिया में रूस लगातार वैश्विक राय की अवहेलना करता रहा है और घरेलू चुनावों में उसने हस्तक्षेप के कथित प्रयास भी किए।
दक्षिण चीन सागर में चीन के हठधर्मी रवैये ने इस बात को परखना चाहा कि क्या अमेरिका चीन के रिश्तों पर हमारे मतभेद हावी होंगे या फिर हम सहयोगात्मक तरीके से क्या हासिल कर सकते हैं। राइस के अनुसार, आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की सफल लड़ाई जारी है। ‘चीन के साथ अपने जटिल लेकिन बढ़ते टिकाऊ संबंधों को बनाए रखते हुए हमने जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगियों के साथ संधियों सहित सहयोग को मजबूत किया है, भारत और इंडोनेशिया जैसी उभरती शक्तियों के साथ गहरी भागीदारी बनाई है और क्षेत्रीय संस्थानों के लिए अपने समर्थन को गति दी है।’ उन्होंने कहा कि एशिया प्रशांत पुनर्संतुलन के प्रमुख हिस्से के तौर पर ओबामा ने कारोबार के लिए रास्ते के नियम तय करने एवं ईमानदार प्रतिस्पर्धा, पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करने तथा श्रम मानकों के लिए ‘ट्रांस एशिया पार्टनरशिप’ के जरिये लड़ाई लड़ी।