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कोलंबो: पूर्व श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आज दावा किया कि श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत ‘खामोश’ है, जबकि उनके कार्यकाल के दौरान इस मुद्दे को लेकर भारत अधिक मुखर था। राजपक्षे ने विदेशी पत्रकारों से कहा, ‘जब चीनी पनडुब्बियां कोलंबो के तट पर आई थीं तो मेरे भारतीय दोस्त चिल्ला रहे थे। परंतु अब वे चूहों की तरह खामोश हैं।’ यह पूछे जाने पर कि किस आधार पर वह चीनी प्रभाव को लेकर भारतीयों के चिंतत नहीं होने का दावा कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, ‘उस वक्त वे खुलकर बोल रहे थे।’ राजपक्षे ने कहा कि वह अपने गृहनगर हम्बनटोटा में एक औद्योगिक पार्क के लिए चीन को 15,000 एकड़ जमीन दिए जाने के विरोध में हैं। उन्होंने कहा, ‘हम औद्योगिक पार्क का स्वागत करते हैं लेकिन 15,000 एकड़ जमीन बहुत अधिक है।’ श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी दावा किया कि लिट्टे के खिलाफ युद्ध में उनका समर्थन करने वाला भारत ने अमेरिका के प्रभाव में आकर उनके खिलाफ काम किया। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम, भारत की रॉ और अन्य की ओर से चलाए गए सतत अभियान की वजह से उनकी सरकार चली गई।

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