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लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा में आज (रविवार) बसपा और भाजपा सदस्यों ने विधान परिषद चुनाव में सरकारी तंत्र के कथित दुरपयोग तथा सुलतानपुर में एक व्यक्ति की हत्या के मामलों को लेकर सदन से बहिर्गमन किया। बसपा सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये सुलतानपुर के चांदा इलाके में गत तीन मार्च को उमाशंकर मौर्य नामक युवक की हत्या का मामला उठाते हुए इस पर बाकी काम रोककर चर्चा कराये जाने की मांग की। सदन में बसपा और विपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि सुलतानपुर जिला प्रशासन की असंवेदनशीलता की वजह से मृत युवक का शव उसके घर में चार दिन तक पड़ा रहा। उन्होंने कहा कि जान का खतरा बताये जाने के बावजूद जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने पीड़ितों को शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवार को पांच लाख रपये की मदद का आश्वासन दिया था लेकिन वह धनराशि परिवार को अब तक नहीं मिली है।

वृन्दावन: वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस उपाध्यक्ष की रविवार को कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उनके पिता राजीव गांधी, दादी इन्दिरा गांधी और उनके परदादा जवाहरलाल नेहरू ने कभी राष्ट्रविरोधियों से सहानुभूति नहीं जताई, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसी ताकतों का समर्थन करके दुर्भाग्यपूर्ण खोखले वैचारिक पतन का परिचय दिया है। जेटली ने आरोप लगाया कि कम्युनिस्टों ने संविधान बनने से लेकर चीन के आक्रमण तक राष्ट्रविरोधी रवैया अपनाया। लेकिन कांग्रेस सहित सभी राष्ट्रवादी पार्टियां व संगठन इसके खिलाफ हमेशा खड़े हुए। उन्होंने कहा, ‘लेकिन आज एक विचित्र स्थिति बनी है कोई याकूब मेमन, तो कोई अफजल गुरू की याद में कार्यक्रम करना चाहता है। ऐसा करने वालों में एक छोटा वर्ग जेहादियों का है और बड़ा वर्ग साम्यवादियों का है।’ वित्तमंत्री ने यहां भारतीय जनता युवा मोर्चा के द्विदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन भाषण में कहा, ‘(जेएनयू में) देश तोड़ने के नारे लगे।

लखनऊ:मुजफ्फरनगर दंगे की जांच करने वाले जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने दंगों के लिए मुख्य रूप से तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे और तत्कालीन एलआईयू इंस्पेक्टर प्रबल प्रताप सिंह को दोषी माना है। आयोग ने दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की है। जस्टिस सहाय की रिपोर्ट विधानसभा में आज (रविवार) पेश की गई। आयोग ने दंगे भड़कने के 14 कारण गिनाए हैं। बसपा व भाजपा नेताओं के बारे में कहा है कि चूंकि उनके खिलाफ दंगा भड़काने का मुकदमा दर्ज है, अत: आयोग उनके खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 20(2) के तहत सरकार को कोई कार्रवाई करने के लिए विधिक रूप से नहीं कह सकता। राज्य सरकार ने 27 अगस्त 2013 से 15 सितंबर 2013 के बीच मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में आयोग गठित किया था। आयोग ने 700 पन्नों में अपनी रिपोर्ट में दंगे के कारणों का विस्तार से ब्योरा दिया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब रविवार को सदन की बैठक हुई और इसमें कई महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश किये गये। सदन में समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे। इसमें सहाय रिपोर्ट भी रखा गया जिसने 2013 में मुजफ्फनगर दंगों के लिए अखिलेश सरकार को न सिर्फ क्लीन चिट दिया, बल्कि भाजपा और बसपा नेताओं को दोषी ठहराए जाने के साथ इस मामले से निपटने के लिए सरकार के कदम की तारीफ भी हुई। सदन में इसके अलावा नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की चार रिपोर्ट तथा अलीगढ़ के टप्पल में किसानों पर हुई फायरिंग की जांच रिपोर्ट भी रखी गई। विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि कैग द्वारा 31 मार्च 2015 को सौपी चार रिपोर्ट, मुजफ्फनगर में हुए वर्ष 2013 में हुए दंगों तथा अलीगढ के टप्पल हुए फायरिंग की रिपोर्ट सदन में रखे गये। मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगों के सिलसिले में जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ नेताओं ने प्रदेश में खूनी संघर्ष कराने के उद्देश्य से इसे यू ट्यूब में वायरल किया।

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