नई दिल्ली: इसे संयोग कहिए या फिर प्रयोग, फैसला आपका है। एक ही दिन दो अलग-अलग घटनाएं हुईं। पर दोनों के केंद्र में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान का परिवार है। अखिलेश यादव ने रामपुर जाकर आज़म की पत्नी तंजीन फ़ातमा से मुलाक़ात की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष आज कुंदरकी भी गए थे। जहां विधानसभा का उप चुनाव है। अखिलेश से पहले चंद्रशेखर रावण ने हरदोई जाकर आज़म के बेटे अब्दुल्ला से भेंट की। आज़ाद समाज पार्टी के सांसद रावण ने उन्हें अपना पारिवारिक दोस्त बताया। इस बार उनकी पार्टी भी उप चुनाव लड़ रही है।
समाजवादी पार्टी के सबसे बडे मुस्लिम नेता आज़म खान सीतापुर की जेल में हैं। उनके एक बेटे अब्दुल्ला हरदोई जेल में बंद हैं। यूपी में उपचुनाव सरगर्मियां चल रही हैं। समाजवादी पार्टी, बीएसपी, एआईएमआईएम और आज़ाद समाज पार्टी में मुस्लिम वोट के लिए होड़ मची है। इस वोट पर आज़म खान का दबदबा माना जाता है। उनके साथ से कहीं ख़तरनाक उनकी नाराज़गी है। मुलायम सिंह के जमाने में सपा एक बार हाथ जला चुकी है। अखिलेश की लाख कोशिशों के बावजूद आज़म खान के नाराज़ होने की खबरें आती हैं या फिर उड़ाई जाती रही हैं।
हर चुनाव में ऐसा होता है।
दबाव में हैं अखिलेश
अखिलेश यादव जिस दिन आज़म खान की पत्नी से मिलते हैं, उसी दिन चंद्रशेखर उनके बेटे से मिलने चले जाते हैं। राजनीति में कुछ भी यूं ही नहीं होता है। राजनीति में हर भेंट मुलाक़ात के मायने भी सियासी होते हैं। वैसे भी मौसम उप चुनाव का है। आज़म खान के हर सुख दुख में अखिलेश यादव उनके साथ खड़े रहे हैं। उनके कहने पर वे टिकट देते हैं और कुछ का काटते भी हैं। इसी चक्कर में मुरादाबाद से पिछली बार सांसद रहे एसटी हसन के बदले आज़म की सिफ़ारिश पर रूचिवीरा को टिकट मिला और अब वे लोकसभा की सांसद हैं। आज़म के कहने पर ही पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल को अखिलेश ने निर्दलीय ही राज्य सभा का सांसद बनाया। सुप्रीम कोर्ट में आज़म खान के वकील सिब्बल हैं। पर रह-रह कर आज़म के समर्थक उनके नाराज़ होने की खबरें उड़ाते रहते हैं। इसे दबाव की राजनीति कहते हैं।
आजम को साध रहे ओवैसी?
एक रणनीति ये भी है कि आज़म खान का समर्थन कर अखिलेश यादव को परेशान किया जाए। एआईएमआईएमके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का फ़ार्मूला यही है। वे तो लगातार आज़म खान की तारीफ़ करते रहे हैं। ओवैसी ने तो उनको अपनी पार्टी में आने का न्योता भी दे दिया। ये मामला है कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना।
चंद्रशेखर रावण तो आज़म खान के बेटे अब्दुल्ला आज़म से मिलते रहे हैं। जब आज़म खान जेल में थे, तब वे रामपुर जाकर उनके बेटे से मिले थे। ये बात तीन साल पुरानी है। चंद्रशेखर यूपी में अपनी पार्टी के विस्तार में जुटे हैं। वे पहली बार सांसद बने हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से उनका गठबंधन नहीं हो पाया था। लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने नगीना से उनके खिलाफ उम्मीदवार दिया था। इन सारी कोशिशों के पीछे यूपी के 20% मुस्लिम वोटर हैं। सबके पास अपना अपना बेस वोट हैं, अब मुद्दा उसमें प्लस करने का है। आज़म खान का नाम इसमें उनके लिए टॉनिक बन सकता है।