इटावा: पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इटावा लॉयन सफारी से गोरखपुर चिडि़याघर के लिए तीन शेर ले जाने के निर्णय को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इससे पता चल गया है कि उनके पास कोई शेर नहीं है। आखिरकार उन्हें शेर की जरूरत भी यहीं (इटावा) से पड़ी।
दीपावली के मौके पर इटावा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सपा अध्यक्ष ने तंज कसा कि सरकार चाहे जितने शेर इटावा से ले जाती लेकिन पहले एक लॉयन सफारी तो बना लेती। गौरतलब है कि पिछले दिनों इटावा लॉयन सफारी से तीन शेर गोरखपुर में बनकर तैयार चिडि़याघर के लिए भेजे जाने की खबर सामने आई थी। उन्होंने कहा कि जब प्रदेश में सपा की सरकार थी तो उन पर गोरखपुर के डॉक्टरों को सैफई ले जाने के आरोप लगाते थे। ऐसा आरोप लगाने वाले आज इटावा से शेर ले जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर इटावा लॉयन सफारी नहीं खोल रही।
उन्होंने कहा कि सरकार को डर है कि सफारी खुल जाएगी तो लोग सपा सरकार की तारीफ करने लगेंगे। इटावा के सारे वोट सपा को चले जाएंगे क्योंकि यह लॉयन सफारी बेहतरीन बनी है। उन्होंने कहा कि हाल में सरकार ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे को इटावा से जोड़ दिया है। इसकी जानकारी शायद सीएम को नहीं रही होगी। उन्हें खुशी है और धन्यवाद देते हे कि कुछ तो जोड़ दिया।
इटावा लॉयन सफारी की तारीफ करते हुए अखिलेश ने कहा कि यह तो सरकार को मुनाफा देती इसके बावजूद बंद रखा है। सिर्फ इसलिए कि कहीं सपा की तारीफ न हो जाए। उन्होंने कहा कि यदि 2022 में सपा की सरकार बनी तो सफारी में सुरक्षा के इंतजाम कर साइकिल चलाने वालों और टहलने वालों को भी इजाजत दी जाएगी।
चाचा शिवपाल के लिए किया ये एलान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दीपावली पर कुनबे की एकजुटता की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। अखिलेश ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और अपने चाचा शिवपाल के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की सीट छोड़ने और सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने का एलान किया।
प्रेस कांफ्रेंस में अखिलश के इस एलान को शिवपाल की ओर से पूर्व में सपा से गठजोड़ की सम्भावनाओं पर दिए गए बयानों के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले चुनावों में पहले कांग्रेस फिर बसपा से गठबंधन का असफल प्रयोग कर चुके अखिलेश यादव ने साफ किया कि अब यूपी में सपा किसी अन्य बड़े दल से कोई गठबंधन नहीं करेगी। इसकी बजाए छोटे दलों से गठजोड़ किया जाएगा।