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लखनऊ: कोरोना काल के लंबा खिचने के आसार के चलते समाजवादी पार्टी ने अब चुनौतियों को नए तरीके से निपटने पर काम शुरू किया है। कार्यकर्ताओं में जोश बनाए रखने की मुहिम वर्चअुल संवाद के जरिए की जा रही है। साथ ही कोरोना संकट में सरकार की खामियों को उजागर करने में भी सपा खासी आक्रामक दिखती है। इस मुहिम में उसे मुकाबला कांग्रेस और बसपा से भी करना पड़ रहा है। उसकी निगाह मिशन-2022 पर है। सपा अब केंद्र व यूपी की सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। 2022 के चुनाव में भाजपा के विकल्प के रूप में खुद को जनता के सामने पेश करने की मुहिम अभी से शुरू कर दी है।

अखिलेश यादव अब वीडिया कांफ्रेंस के जरिए जिलों-जिलों के कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। वह जिलों के पदाधिकारियों से उनके द्वारा किए गए कामों का फीडबैक भी ले रहे हैं। हाल ही में उन्होंने अयोध्या, बिजनौर, महोबा, कन्नौज, गोंडा, कानपुर, चंदौली, आजमगढ़ व सिद्धार्थनगर जिले के कार्यकर्ताओं के साथ सोशल मीडिया के जरिए संवाद किया।

अखिलेश का कार्यकर्ताओं को साफ संदेश है कि भाजपा जनविरोधी काम कर रही है। उसके झूठ व प्रोपेगंडा की असलियत जनता को बताई जाए। जनता को याद दिलाया जाए कि कैसे सपा सरकार के वक्त काम मौजूदा सरकार ने रोक दिए। खास तौर पर लैपटाप योजना आदि का बंद किया जाना। साथ ही संगठन के अधूरे पड़े काम को भी पूरा किया जा रहा है। इसमें जिला अध्यक्षों की नियुक्ति भी शामिल है।

यादव ने कहा कि कोरोना काल में भी भाजपा सरकार में लूट, हत्या, बलात्कार, गांव-गांव तक झगड़े, लाठी-गोली का चलन है। राज्य में अपराधों की बाढ़ आ गई है। प्रदेश अराजकता का शिकार है। भाजपा सांसद विधायक, नेता थानों पर हमला करते रहे हैं। उन्होंने कानून को हाथ में ले रखा है। सत्ता का दुरूपयोग करने में भाजपा को कोई लोकलाज नहीं है।

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