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नई दिल्‍ली: केंद्र के महत्वाकांक्षी 'स्वच्छ भारत मिशन' और 'गंगा पुनर्जीवन योजना' का माखौल उड़ाने को लेकर राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में भाजपा के कुछ सांसदों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक याचिका दायर की गई है। सरकार के लिए यह शर्मिंदगी की एक वजह बन सकती है। यह विषय जून के आखिरी हफ्ते में एनजीटी की एक अवकाश पीठ के समक्ष आने की संभावना है। आरोप है कि उत्‍तर प्रदेश से भाजपा की एक महिला सांसद ने योगी आदित्यनाथ सरकार के एक मंत्री की मौजूदगी में सरयू नदी में प्लास्टिक की एक बोतल फेंकी थी। यह नदी गंगा की सहायक नदी है। गुड़गांव के एक निजी विश्वविद्यालय के कानून के दो छात्रों ने राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण के समक्ष इस घटना का जिक्र करते हुए 'प्रदूषण करने वाला भरपाई करेगा' के सिद्धांत पर आपराधिक कार्यवाही करने और जुर्माना लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि दोनों नेताओं की लापरवाह हरकत 'नमामी गंगे परियोजना' और 'स्वच्छ भारत मिशन' का माखौल उड़ाना है। यह दोनों योजनाएं उनकी सरकार ने ही शुरू की है। उन्होंने अपने वकील गौरव बंसल के जरिए यह याचिका दायर की है जो मीडिया में आई उन खबरों पर आधारित है, जिनमें कहा गया था कि दो जून को सरयू पर एक तटबंध का मुआयना के दौरान मंत्री के साथ मौजूद महिला सांसद प्रियंका सिंह रावत ने प्लास्टिक की बोतल नदी में फेंक दी।

उन्होंने इस कथित घटना की वीडियो क्लीपिंग और तस्वीरें याचिका में संलग्न की है। याचिका में कहा गया है, 'महिला सांसद को वीडियो में नौका पर सवार और हाथ में एक प्लास्टिक की बोतल लिए देखा जा सकता है। जिसे वह लापरवाही से नदी में फेंक रही हैं। वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने पूरी घटना को रिकॉर्ड किया। यह दावा किया गया है कि बोतल में बचा पानी पीने के बाद भाजपा सांसद ने मंत्री से पूछा कि बोतल के साथ क्या करना है। उनके जवाब का इंतजार किए बगैर उन्होंने चारों ओर देखा और बोतल नदी में फेंक दी। याचिका में कहा गया है, गंगा की सहायक नदियों, सरयू और रामगंगा आदि के तटों पर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाए।

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