लखनऊ: उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने योजनाओं से अल्पसंख्यकों का 20 प्रतिशत कोटा खत्म किए जाने सम्बन्धी खबरों को आधारहीन एवं तथ्यों से परे बताया है। उन्होंने कहा है कि इस संबंध में समाचार पत्रों एवं न्यूज चैनलों में आ रही खबरें पूरी तरह बेबुनियाद हैं। शास्त्री ने सोमवार को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि इस सम्बन्ध में राज्य सरकार के स्तर पर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है, जिसके दृष्टिगत यह समाचार पूर्णतः भ्रामक है। इससे पहले आज सुबह ऐसी खबरें आई थीं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर सपा की एक और योजना पर गाज गिराने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा था कि योगी सरकार सपा की अल्पसंख्यक कोटा वाली योजना को रद्द करने जा रही है। हालांकि इसका कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। समाजवादी पार्टी ने 85 योजनाओं पर 20 फीसदी कोटा देने का ऐलान किया था। गौरतलब है कि साल 2012 में अखिलेश सरकार जब सत्ता में आई थी तब इस योजना की शुरुआत हुई थी। इसके तहत सरकार की 85 योजनाओं पर 20 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया था।
यह कोटा कृषि, गन्ना विकास, लघु सिंचाई, उद्यान, पशुपालन, कषि विपणन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, लोक निर्माण, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्रामोद्योग, रेशम विकास, पर्यटन, बेसिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, युवा कल्याण, नगर विकास, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, पिछड़ा वर्ग कल्याण, व्यावसायिक शिक्षा, समाज कल्याण, विकलांग कल्याण, महिला कल्याण, दुग्ध विकास, समग्र ग्राम विकास विभागों में मिलता है। दरअसल अखिलेश सरकार ने यह फैसला नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्टों के बाद लिया था. सर्वे की रिपोर्टों में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था. रिपोर्टों में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है. ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिंदुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था. शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिंदुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था।