बेंगलुरु: कर्नाटक के भाजपा विधायक श्रीमंत पाटिल ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के लिए रुपये और मंत्रिपद का प्रस्ताव दिया गया था हालांकि बाद में वो आपने बयान से पलट गए। हाल ही विधानसभा का सत्र शरू हुआ है, ऐसे में हंगामे के आसार हैं। श्रीमंत पाटिल उन 17 कांग्रेस-जेडीएस विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने जेडीएस-कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। येदियुरप्पा सरकार बनते ही श्रीमंत पाटिल को मंत्री बनाया गया लेकिन बसवराज बोम्मई मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिली तो वो नाराज हैं। ऐसे में उन्होंने अपने बयान से नया विवाद खड़ा कर दिया ये कहते हुए कि कांग्रेस छोड़ने के लिए उन्हें मंत्रिपद और धनराशि का प्रस्ताव दिया गया था।
भाजपा विधायक श्रीमंत पाटिल ने कहा, 'मैंने भाजपा धन के लालच में नहीं ज्वाइन किया यह सही है कि मुझे धन का लालच दिया गया था लेकिन मैंने मंत्रालय मांगा था और इसी के तहत मुझे मंत्रालय दिया गया था।' लेकिन जब फटकार लगी तो उनके सुर बदल गए और अपने बयान से वो पलट गए।
इसके बाद उन्होंने कहा, 'मैंने ऐसा नहीं कहा था कि मुझे भाजपा से किसी ने पैसे का लालच नहीं दिया था। मुझसे जब पूछा गया कि आप क्या चाहते हैं तो मैंने कहा कि मुझे अच्छा मंत्रालय दिया जाए। बस इतना ही कहा था। पैसे का ऑफर मुझे किया गया था यह मैंने नहीं कहा था।'
भले ही श्रीमंत पाटिल अपने बयान से पलट गए हो, लेकिन ये आरोप कांग्रेस और जेडीएस शुरू से उन सभी बागी विधायकों पर लगाती रही है। क्योंकि इनकी बगावत की वजह से ही जेडीएस कांग्रेस की साझा सरकार गिरी थी।
वरिष्ठ कांग्रेस विधायक प्रियंक खड़गे ने कहा, 'भले ही श्रीमंत पाटिल अपने बयान से पलट जाए लेकिन उन्हें किसी ने वैसा बयान देने के लिए कभी दबाव नहीं डाला था। जाहिर है कि उन्होंने जो कुछ कहा सही कहा और यह हम पहले से कहते आ रहे हैं।'
भाजपा विधायक एवं मंत्री सीसी पाटिल ने कहा, 'यह सही नहीं है कि भाजपा ने किसी को भी पार्टी बदलने के लिए धन ऑफर किया। यह बिल्कुल गलत है किसी के साथ ऐसा नहीं हुआ।'