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बेंगलुरु: देश में जारी किसान आंदोलन से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि पर पड़ने वाले असर के प्रति आगाह करते हुए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गतिरोध दूर करने का आह्वान करते हुए जनता दल (सेकुलर) के नेता एचडी कुमारस्वामी ने शनिवार को कहा कि वह महसूस करते हैं कि किसानों को नए कृषि कानूनों के साथ प्रयोग करने के मामले में मन को खुला रखना चाहिए।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री हालांकि महसूस करते हैं कि इसके लिए केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच बेहतर समन्वय होनी चाहिए। कुमारस्वामी ने कहा, ''वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह की नए कानूनों पर की गई टिप्पणी से उम्मीद जगी है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे नए कानूनों को लागू करने का प्रयोग होने दे। उन्होंने कोई समस्या होने पर कानूनों को वापस लेने का भी भरोसा दिया है। मेरा मानना है कि किसानों को इसपर भी विचार करना चाहिए।" कई ट्वीट कर कुमारस्वामी ने कहा कि कुछ समय से मजबूत विचार है कि कृषि क्षेत्र एक चक्रव्यूह में फंस गया है और इसलिए हमारे लिए यह बहुत जरूरी है कि किसी नए प्रयोग के लिए तैयार रहा जाए, अगर वह किसानों और कृषि क्षेत्र के कल्याण के लिए हो।

जद(एस) नेता ने कहा, ''किसानों के प्रदर्शन से छवि बनी है कि भारत में कुछ समस्या है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो प्रतिष्ठा हासिल की है और उसकी जो छवि बनी है उसे नए कृषि कानूनों के साथ-साथ उनके खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों से धक्का नहीं लगना चाहिए।"

कुमारस्वामी ने कहा कि मोदी को समझना चाहिए कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने जो प्रतिष्ठा प्राप्त की है, उसे ऐसे प्रदर्शनों से नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही किसानों को भी कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों तक अपने कार्यक्रमों के जरिए परोक्ष रूप से संदेश देने के बजाय केंद्र को किसानों का आंदोलन खत्म कराने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में निर्णायक बैठक करनी चाहिए। गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर पिछले लगभग एक महीने से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं।

इस बीच, भाजपा में पार्टी के विलय के कयासों को खारिज करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने शनिवार को जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी जनता दल (सेकुलर) बनी रहेगी और वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में अपने दम पर सत्ता में आने की कोशिश करेगी। जद(एस) की धर्मनिरपेक्षता की विश्वसनीयता को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए गए सवाल पर पलटवार करते हुए देवेगौड़ा ने कर्नाटक में जद(एस)- कांग्रेस सरकार के गिरने और उनकी पार्टी के खिलाफ आरोप लगाने के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया। भगवा पार्टी में अपनी पार्टी के विलय के कयासों पर चुप्पी तोड़ते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने इसे मनोरजंन कार्यक्रम बताया और कहा कि उनकी स्पष्टीकरण के बाद इन कयासों पर रोक लगनी चाहिए।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा,‘पिछले तीन महीने से हमारी पार्टी के बारे में बहुत से बातें कही गईं, इसे मनोरंजन कार्यक्रम कहा जा सकता है। जद(एस) एक क्षेत्रीय पार्टी और एक क्षेत्रीय पार्टी को बचाने एवं बनाने का दर्द उसके कार्यकर्ता, पदाधिकारी और उसका प्रमुख ही समझ सकता है।" जद(एस) के बारे में बात करने वाले नेताओं को अप्रांसगिक बताते हुए 87 वर्षीय नेता ने कहा कि कोई भी उनकी पार्टी को आसानी से हिला या हटा नहीं सकता है। उन्होंने कहा,‘केवल देवेगौड़ा और उनका बेटा ही नहीं, ऐसे तमाम लोग हैं जो न केवल मेरे जीवनकाल में बल्कि मेरे बाद भी इस पार्टी को बचाएंगे।’

 

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