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बेंगलुरु: हिंदी दिवस समारोह को अन्य भाषा-भाषियों पर इस भाषा को थोपने की गुप्त चाल करार देते हुए जनता दल सेकुलर (जद-एस) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने सोमवार को उसे रद्द करने की मांग की। हिंदी दिवस के दिन कई ट्वीट करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने इस भाषा को थोपने के विरूद्ध चेतावनी दी और कहा कि कन्नड़ भाषियों के सौहार्दपूर्ण स्वभाव को उनकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।

कुमारस्वामी ने ट्वीट किया, 'भारत विविध भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं की भूमि है और यहां कन्नड़ समेत अन्य भाषा-भाषियों पर हिंदी थोपने के लिए कई तरीके अपनाए जा रहे हैं। आज का हिंदी दिवस भी ऐसी ही गुप्त चाल है। गर्वशील कन्नड़ भाषी इस हिंदी दिवस के खिलाफ हैं, जो भाषाई अहंकार का प्रतीक है।' उनका ट्वीट कन्नड़ भाषा में था।

उन्होंने लिखा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और संविधान में ऐसी कोई अवधारणा है ही नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि उसके बाद भी उसे राष्ट्रभाषा के रूप में पेश करने का प्रयास किया जा रहा है और ''उस पर राजनीति की जाती है।

कुमारस्वामी ने कहा, ''अब अति हो गया है। अन्य भाषा-भाषी ऐसे प्रयासों के खिलाफ बगावत का झंडा उठा लें, उससे पहले हिंदी को थोपा जाना बंद किया जाना चाहिए।

उन्होंने सवाल दागा, 'अन्य भाषा-भाषियों के लिए मनाने के लिए क्या है। निरर्थक हिंदी दिवस को रद्द कर दिया जाना चाहिए।' पूर्व मुख्मयंत्री ने कहा कि यदि हिंदी दिवस मनाया ही जाना है तो कन्नड़ एवं अन्य भाषाओं के दिवस भी देशभर में केंद्र द्वारा मनाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'इसके लिए पृथक दिवसों की घोषणा की जानी चाहिए। एक नवंबर को देशभर में कन्नड़ दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।' हाल के समय में कर्नाटक के समाज के एक वर्ग में हिंदी विरोधी भावना मजबूत हुई है।

 

 

 

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