बेलगावी (कर्नाटक): महाराष्ट्र की सीमा से सटे कर्नाटक के बेलगावी जिले के एक गांव में 18वीं शताब्दी के योद्धा एवं स्वतंत्रता सेनानी सांगोली रायन्ना की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर तनाव उत्पन्न हो गया। गांव का एक वर्ग प्रतिमा की स्थापना को लेकर विरोध जता रहा है। पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण के लिए लाठीचार्ज किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रायन्ना के कुछ प्रशंसकों ने बृहस्पतिवार और शुक्रवार की दरम्यानी रात पीरनवाड़ी में एक चौराहे पर उनकी प्रतिमा स्थापित की। खबर फैलते ही अन्य वर्ग के लोगों ने आपत्ति जताई, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।
विरोधी चाहते हैं शिवाजी की मूर्ति लगे
विरोध करने वालों में ज्यादातार मराठी भाषी हैं जिन्हें उस स्थान पर प्रतिमा स्थापित किए जाने से आपत्ति है जहां वे मराठा शासक शिवाजी की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं। इस चौराहे का नाम शिवाजी महाराज के नाम पर ही है। उन्हें यह भी आशंका है कि भविष्य में इसका नाम भी बदला जा सकता है। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए पुलिस ने एकत्रित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया।
अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश की कि प्रतिमा को आवश्यक अनुमति के बिना स्थापित किया गया है और इस मुद्दे से कानूनी तौर पर निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और कार्रवाई की जाएगी। स्थिति को अनियंत्रित होने से रोकने के लिए अतिरिक्त बलों को बुलाया गया है।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने बेंगलुरु में कहा कि उन्होंने बेलगावी के उपायुक्त और अन्य अधिकारियों से बात की है और उन्हें जरूरी निर्देश दिए हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैंने अधिकारियों से कहा है कि कन्नड़ एवं मराठी भाषी लोगों में कोई अंतर किए बिना स्थिति से सौम्यता से निपटा जाना चाहिए और मुद्दा सुलझना चाहिए... अब स्थिति शांतिपूर्ण है...हर कोई सहयोग कर रहा है। मैं इसके लिए लोगों का शुक्रिया करता हूं...हर चीज सुलझा ली जाएगी।”
गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं और उन्होंने बेलगावी के पुलिस आयुक्त और आईजी से भी बात की है। एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। 15 अगस्त को, पुलिस ने वहां रायन्ना की प्रतिमा स्थापित करने के प्रयासों को यह कहते हुए विफल कर दिया था कि इसके लिए अधिकारियों से अनुमति नहीं ली गई है और यह राजमार्गों के पास इस तरह के कदम उठाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के भी खिलाफ है।
इसके बाद कर्नाटक के कई हिस्सों खास तौर पर बेलगावी में कन्नड़ समर्थित संगठनों ने प्रदर्शन किया जहां मराठी भाषी लोगों की अच्छी खासी संख्या है। जिला प्रभारी मंत्री रमेश जरकीहोली ने बृहस्पतिवार को कहा था कि प्रतिमा स्थापित करने का फैसला कानूनी मानदंडों और शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों के अनुरूप 29 अगस्त को लिया जाएगा।
विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि उन्होंने बेलगावी के जिला प्रभारी मंत्री, उपायुक्त और पुलिस आयुक्त से बात की है और उनसे सावधानी से स्थिति से निपटने को कहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा सांगोली रायन्ना की प्रतिमा मुद्दे को नजरअंदाज किए जाने की वजह से यह विवाद पैदा हुआ है। एक बयान में उन्होंने कहा कि राज्य की भूमि, जल, भाषा और लोगों के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
जद (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने रायन्ना की प्रतिमा स्थापना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मराठी लोगों के एक वर्ग पर हमला बोला और कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए किसी अन्य की मंजूरी की जरूरत नहीं है। एक के बाद एक कई ट्वीट कर उन्होंने कहा कि भले ही महाराष्ट्र एकीकरण समिति हो या शिवसेना या कोई और, अगर कोई भी इस धरती के वीर सपूत, रायन्ना का अपमान करेगा तो यह कन्नड़ भाषी लोगों के सब्र का इम्तिहान लेने जैसा होगा और चेताया कि वे ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सांगोली रायन्ना (1798-1831) तत्कालीन किट्टूर साम्राज्य के सेना प्रमुख थे जिसका शासन रानी चेन्नम्मा के हाथ में था और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी जिन्होंने 1831 में उन्हें बेलगावी जिले के पास नंदागड़ में बरगद के पेड़ से फांसी पर लटका दिया था।