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बेंगलुरू: 'पाकिस्तान जिंदाबाद' नारे लगाने वाली 19 वर्षीय अमूल्या लियोन की जमानत याचिका को सत्र न्यायालय ने गुरुवार को खारिज कर दिया था। फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आयोजित एक रैली में अमूल्या को 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारे लगाने को लेकर देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वहीं, मजिस्ट्रेट अदालत ने राज्य द्वारा निर्धारित समय अवधि के भीतर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहने पर छात्रा को जमानत दे दी है।

बेंगलूरू में पुलिस को 20 मई तक चार्जशीट दाखिल करना था, जो उसकी गिरफ्तारी के बाद 90 दिन की अवधि थी, लेकिन पुलिस द्वारा ऐसा करने में असमर्थता को लेकर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उसे 'डिफॉल्ट जमानत' दे दी है। पुलिस की तरफ से अमूल्या के खिलाफ तीन जून को मामला दर्ज किया गया था। चार्जशीट दाखिल करने में देरी होने पर अमूल्या के वकीलों ने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत याचिका दायर की, जिसके तहत चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति 60/90 दिनों के अंत में जमानत का हकदार होता है।

अमूल्या के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व राज्य लोक अभियोजक बी टी वेंकटेश ने कहा कि मैंने सुना है कि जमानत दे दी गई है, लेकिन मुझे अभी आदेश की प्रति नहीं मिली है। 

एक अन्य अधिवक्ता ने कहा कि प्रारंभ में, सत्र अदालत के समक्ष 30 मई को 167 (2) धारा के तहत एक आवेदन दिया गया था, क्योंकि निचली अदालतों में लॉकडाउन के दौरान सुनवाई नहीं हो रही थी। उन्होंने कहा कि लेकिन मामले की जांच के दौरान मजिस्ट्रेट की अदालत के अधिकार क्षेत्र के भीतर डिफॉल्ट जमानत की प्रक्रिया आने के बाद पिछले सप्ताह आवेदन वापस ले लिया गया था।

अमूल्या को 20 फरवरी की शाम को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को खिलाफ आयोजित एक रैली में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारे लगाने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। वीडियो क्लिप में उसे पाकिस्तान जिंदाबाद के बाद भारत जिंदाबाद के नारे लगाते हुए सुना जा सकता है। हालांकि उससे माइक्रोफोन छीन लिया गया था। हालांकि उसके दोस्तों का दावा है कि वह पाकिस्तान और भारत सहित सभी देशों के लिए जिंदाबाद का नारा लगाकर सार्वभौमिक मानवता का संदेश देने की कोशिश कर रही थी।  

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