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तिरूवनंतपुरम: केरल के देवस्वओम मंत्री कडकमपल्ली सुरेन्द्रन ने सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का शुक्रवार को स्वागत करते हुए इसे 'ऐतिहासिक करार दिया। वहीं मंदिर के प्रमुख पुजारी ने इसे ''निराशाजनक बताया। भगवान अय्यप्पा स्वामी मंदिर का प्रशासनिक कामकाज संभालने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड का कहना है कि वह फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है।

4-1 से सुनाया गया फैसला

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है और यह परिपाटी महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। फैसले के साथ लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई अपने निष्कर्ष पर पहुंच गई है। केरल के देवस्वओम मंत्री सुरेन्द्रन ने कहा कि इसे लागू करना और मंदिर आने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब टीडीबी की जिम्मेदारी है। पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सुधाकरन ने कहा कि फैसला महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करता है। केरल की वाम मोर्चे वाली सरकार ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के फैसले का स्वागत किया।

केरल सरकार ने किया फैसले का स्वागत

सुरेन्द्रन ने कहा, राज्य सरकार का यह रूख सिर्फ सबरीमाला मंदिर के लिए नहीं है बल्कि यह उसका मानना है कि किसी भी धर्म स्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।वहीं मंदिर के तंत्री कंडारारू राजीवारू ने कहा कि हालांकि फैसला ''निराशाजनक है लेकिन वह इसे स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, ''मैं न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं। मौजूदा हालात में महिलाओं के लिए विशेष सुविधाओं की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल है।

बोर्ड को प्रबंध करना होगा

त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड के अध्यक्ष ए. पद्मकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि बोर्ड न्यायालय के फैसले को स्वीकार करता है। यह पूछने पर कि क्या बोर्ड इस फैसले से खुश है, उन्होंने कहा, सवाल यह नहीं है कि टीडीबी इस फैसले से खुश है या निराश। पद्मकुमार ने कहा, हम फैसले का पालन करने के लिए बाध्य हैं और हम इसे लागू करेंगे। उन्होंने कहा, महिला श्रद्धालुओं के लिए जिन सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करनी है, उस संबंध में राज्य सरकार से सलाह लेकर बोर्ड जरूरी कदम उठाएगा।

इस बीच बोर्ड सदस्य के. पी. संकरा दास ने कहा कि एलडीएफ सरकार ने रूख अपनाया है और टीडीबी के लिए अलग रूख अपनाना संभव नहीं है। पंडालम राज परिवार के सदस्य शशि कुमार वर्मा का कहना है कि यह फैसला परिवार के लिए दुखदायी है। उन्होंने कहा, प्रत्येक परिवार की अपनी परंपरा और रीति-रिवाज होते हैं और न्यायालय के फैसले ने अब उसे बदल दिया है। मंदिर आम जनता के लिए 16 से 21 के बीच खुला था, लेकिन पिछले माह यहां आई बाढ़ की वजह से प्रवेश पम्पा-त्रिवेणी तक सीमित था। अब यह दोबारा 16 अक्टूबर को खुलेगा।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले के माध्यम से केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश का रास्ता साफ कर दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से रोकना लैंगिक आधार पर भेदभाव है और यह परिपाटी हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि धर्म मूलत: जीवन शैली है जो जिंदगी को ईश्वर से मिलाती है।

न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ ने प्रधान न्यायाधीश तथा न्यायमूर्ति ए. एम.खानविलकर के फैसले से सहमति व्यक्त की जबकि न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा का फैसला बहुमत के विपरीत है। संविधान पीठ में एक मात्र महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने कहा कि देश में पंथ निरपेक्ष माहौल बनाये रखने के लिये गहराई तक धार्मिक आस्थाओं से जुड़े विषयों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति मल्होत्रा का मानना था कि ‘सती’ जैसी सामाजिक कुरीतियों से इतर यह तय करना अदालत का काम नहीं है कि कौन सी धार्मिक परंपराएं खत्म की जाएं। न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने कहा कि समानता के अधिकार का भगवान अय्यप्पा के श्रद्धालुओं के पूजा करने के अधिकार के साथ टकराव हो रहा है।

कोच्चि/तिरुवनंतपुरम: केरल की नन से दुष्कर्म मामले में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले तीन दिनों से पुलिस फ्रैंको मुलक्कल से पूछताछ कर रही थी। बताते हैं कि 54 वर्षीय मुलक्कल पहले ऐसे बिशप हैं, जिन्हें दुराचार के मामले में गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में जांच टीम ने बिशप को पूरा समय दिया कि वह मामले में अपना पक्ष रखते हुए एक-एक चीज को स्पष्ट करें। गौरतलब है कि बिशप के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के 85 दिन बाद गिरफ्तारी हुई है।

इससे पहले 28 जून को कुराविलंगड़ थाने में दुष्कर्म पीड़िता का बयान दर्ज किए जाने के बाद बिशप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। बता दें कि पीड़िता नन ने आरोप लगाया था कि बिशप ने 2014 से 2016 के बीच कई बार उनके साथ दुष्कर्म किया था। मामला तूल पकड़ने के बाद बिशप ने अपने बचाव में कई तर्क दिए। उन्होंने यहां तक कहा कि उनसे बदला लेने के लिए यह शिकायत की गई है। बिशप ने नन के खिलाफ जांच करने की भी अनुमति मांगी थी।

नई दिल्ली: नन से बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों को लेकर केरल पुलिस ने शुक्रवार लगातार तीसरे दिन पादरी फ्रैंको मुलक्कल से पूछताछ की। नन के साथ कथित तौर पर बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न को लेकर बढ़ते आक्रोश के बीच केरल सरकार ने कहा कि मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है और न्याय मिलेगा। केरल के वरिष्ठ मंत्री ई. पी. जयराजन ने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं को बताया, जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है। सरकार पीड़िता के साथ है। सरकार प्रदर्शन कर रही ननों के साथ है। निश्चित रूप से सरकार दोषियों की पहचान और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिये हर जरूरी कदम उठायेगी।

उन्होंने कहा कि पादरी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन में बैठे लोगों सहित किसी ने भी जांच की प्रक्रिया को लेकर शिकायत नहीं की है। मंत्री का यह बयान केरल की सत्तारूढ़ माकपा के प्रदेश सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन की उस टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें कोडियेरी ने कहा था कि मुलक्कल की गिरफ्तारी को लेकर उच्च न्यायालय के सामने ननों का प्रदर्शन गलत भावना से प्रेरित है।

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