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नई दिल्ली: पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की अगले महीने लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। गुजरात हाई कोेर्ट ने 2015 के हिंसा मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। गुजरात में चार अप्रैल नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है। फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने के लिए हार्दिक के पास कुछ ही दिन हैं। 12 मार्च को कांग्रेस में शामिल होने वाले हार्दिक ने जामनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी।

पहले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने उनकी याचिका पर कड़ा विरोध प्रकट करते हुए कहा था कि हार्दिक का आपराधिक अतीत रहा है। उनके खिलाफ 17 प्राथमिकी दर्ज हैं, इसमें देशद्रोह के दो मामले हैं। उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हार्दिक के वकील ने कहा कि सबसे पहले वे आदेश को पढ़ेंगे और फिर उच्चतम न्यायालय जाने का फैसला करेंगे। न्यायमूर्ति ए जी उरैजी ने गुजरात सरकार की दलीलें सुनने के बाद सत्र अदालत द्वारा हार्दिक की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

अपने आदेश में न्यायमूर्ति उरैजी ने कहा कि असाधारण मामले में ही दोषसिद्धि पर रोक लगायी जा सकती है और हार्दिक का मामला इस श्रेणी में नहीं आता। पिछले साल जुलाई में मेहसाणा जिले के विसनगर में सत्र अदालत ने पटेल को दो साल जेल की सजा सुनायी थी। पिछले साल अगस्त में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा हार्दिक को दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी थी लेकिन उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगायी थी।

नियम के मुताबिक दो साल या इससे अधिक की सजा वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। इसी वजह से हार्दिक ने आठ मार्च को एक बार फिर गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। उनके वकील रफीक लोखंडवाला ने बताया कि हार्दिक ने अदालत में एक अर्जी दी है जिसमें विसनगर की अदालत की सजा पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। ताकि हार्दिक के चुनाव लड़ने में परेशानी न हो या उन्हें अयोग्य न ठहराया जा सके।

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