नई दिल्ली: पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के एक दिन बाद आज उनके पूर्व करीबी सहयोगी दिनेश बांभणिया ने दावा किया कि हार्दिक दरअसल गुजरात में विधानसभा उपचुनाव लड़ना चाहते हैं और उनके ही इशारे पर बिना किसी कारण के पाटीदारों का गढ़ कहे जाने वाले ऊंझा की कांग्रेस विधायक आशाबेन पटेल ने हाल में इस्तीफा दिया है।
हार्दिक के साथ राजद्रोह के एक मामले में सह-आरोपी और पास नेता की वर्ष 2015 में रहस्यमय गुमशुदगी के दौरान उनके लिए आधी रात को यहां हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले बांभणिया ने कहा कि हार्दिक ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एक कांग्रेस टिकट के लिए पार्टी को बिना अन्य पास नेताओं की जानकारी के एक गुपचुप सूची सौंपी थी जिसमें उनकी करीबी आशाबेन का नाम भी था।
उम्र होने पर टंकारा अथवा ऊंझा से विधानसभा चुनाव लडूंगा
हार्दिक ने आंदोलन के दौरान ही सहयोगियों से कहा था कि वह उम्र होने पर टंकारा अथवा ऊंझा से विधानसभा चुनाव अथवा उपचुनाव लड़ना चाहेंगे। ऊंझा की सीट उनके ही इशारे पर खाली कराई गई है। वह वहां से उपचुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि राजस्थान में एक साक्षात्कार में हार्दिक ने यह कहा है कि वह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि वह राहुल गांधी को पसंद करते हैं।
राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति
बांभणिया ने कहा कि हार्दिक ने चुनाव लड़ने की बात कह कर यह साफ कर दिया है कि आरक्षण आंदोलन के नाम पर उन्होंने पाटीदार समुदाय को अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया है। इस बीच हार्दिक पटेल के राजस्थान से आये एक वीडियो फुटेज में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह निश्चित रूप से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे क्योंकि ममता दीदी (बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) ने विपक्ष को एकजुट कर भाजपा को हटाने और देश तथा संविधान बचाने की लड़ाई छेड़ दी है।