हजीरा (गुजरात): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सूरत के हजीरा में लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) की होवित्जर तोप निर्माण इकाई का उद्घाटन किया। इस दौरान वे एक टैंक पर भी सवार हुए। प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस अवसर की तस्वीरें एवं एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वे एक टैंक पर खड़े नजर आ रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया- ‘मैं अत्याधुनिक के9 वज्र स्वचालित होवित्जर के निर्माण के लिए लार्सन एंड टुब्रो की समूची टीम को बधाई देता हूं। यह भारत के रक्षा क्षेत्र एवं देश की सुरक्षा के दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान है। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने का हमारा प्रयास है। मैं खुश हूं कि निजी क्षेत्र भी इस प्रयास के लिए मदद और अहम योगदान दे रहे हैं।’
4,500 करोड़ रुपये का अनुबंध
भारत की यह पहली निजी निर्माण इकाई होगी, जहां स्व-चालित के9 वज्र होवित्जर तोपों का निर्माण किया जाएगा। एलएंडटी ने 2017 में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारतीय सेना को के9 वज्र-टी 155 मिलिमीटर ‘ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड’ तोप प्रणालियों की 100 इकाइयों की आपूर्ति करने के लिए 4,500 करोड़ रुपये का अनुबंध हासिल किया था।
विपरीत परिस्थितियों में भी सक्षम
-विश्व की श्रेष्ठ मारक प्रणाली वाले टैंक में से एक है के9 वज्र-टी 155 मिमी
-विपरीत मौसम, जंगल, रेगिस्तान व बर्फीले मार्गों में भी यह काम करने में सक्षम
-यह मिलने पर कई मायनों में भारतीय सेना नाटो के मानक स्तर तक पहुंच जाएगी
निजी कंपनी को सबसे बड़ा अनुबंध
विनिर्माण परिसर ‘के9 वज्र-टी 155 मिमी / 52-कैलिबर ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर गन’ कार्यक्रम को पूर्ण कर रहा है। के9 वज्र अनुबंध में 42 महीनों के अंदर ऐसी 100 प्रणालियों की आपूर्ति शामिल है। यह रक्षा मंत्रालय द्वारा एक निजी कंपनी को दिया गया सबसे बड़ा अनुबंध है।
कोरियाई कंपनी के साथ अनुबंध
एलएंडटी ने इन तोपों के लिए दक्षिण कोरियाई कंपनी हानवाह कॉर्पोरेशन के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, कोरिया गणतंत्र के रक्षा अधिग्रहण मंत्री वांग जुंग होंग और एलएंडटी समूह के प्रमुख एएम नाइक भी शनिवार को इस उद्घाटन समारोह में मौजूद रहे।
देश में ही बनेंगे सारे पुर्जे
एलएंडटी डिफेंस के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष जेडी पाटिल ने बताया कि इस केंद्र को भारत में पूर्ण विकसित युद्धक टैंक के निर्माण को संभव बनाने के लिए विकसित किया गया है। कंपनी 400 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को शामिल करने और 13,000 पुर्जों को स्वदेश में विकसित कर बिना किसी बाहरी मदद पर निर्भर हो एक पूर्ण स्वदेशी युद्धक टैंक विकसित करने की दिशा में बढ़ रही है।