अहमदाबाद: सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा (स्टेच्यू ऑफ यूनिटी) का अनावरण 31 अक्तूबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। लेकिन उससे पहले स्थानीय आदिवासी दलों ने इस कार्यक्रम के विरोध में मोर्चा संभाल लिया है। इन दलों ने 31 अक्तूबर को एक दिन के बंद का एलान किया है। वहीं दूसरी ओर भाजपा एक बड़े कार्यक्रम की तैयारी कर रही है, जिसमें लगभग 5000 गांव के लोगों के इकट्ठा होने की उम्मीद है। ये गांव राज्य सरकार की एकता यात्रा के हिस्सा होंगे, जिसके तहत सरदार पटेल के भारत को एकजुट बनाने में योगदान के बारे में जागरुकता फैलाई जाएगी।
9 आदिवासी जिलों के लगभग 72 गांव (दक्षिणी गुजरात के उमरगांव से पूर्व में अम्बाजी तक के गांव शामिल हैं) पर इस बंद का असर देखने को मिलेगा। वहीं स्थानीय लोगों ने यह भी दावा है कि ऐसे जिले में जहां मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है वहां 2500 करोड़ की प्रतिमा का कोई मतलब नहीं है। आदिवासी नेता प्रफुल वसावा ने कहा कि 31 अक्तूबर को लाखों आदिवासी प्रतिमा की ओर मार्च करते हुए और प्रदर्शन करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी गांवों में बंद का पालन किया जाएगा क्योंकि वोट पाने के लिए सरदार पटेल के नाम का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
सरदार पटेल की प्रतिमा की बात की जाए तो यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी जिसका सरदार पटेल की जंयती पर अनावरण किया जाएगा। साथ ही इसे प्रधानमंत्री मोदी के मिशन 2019 के प्रचार के रूप में भी देखा जा रहा है। गुजरात के सीएम विजय रुपाणी ने शुक्रवार को कहा कि अगर सरदार पटेल ने नवाब शासित प्रदेशों के खिलाफ सख्त कदम उठाकर उन्हें भारत में न जोड़ा होता तो भारतीयों को जूनागढ़ और हैदराबाद जाने के लिए वीजा की जरूरत होती।