नई दिल्ली: पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल ने गुरुवार को अपने आमरण अनशन के 13 वें दिन एक बार फिर जल-त्याग कर दिया। राज्य सरकार को उनसे सीधी बातचीत के लिए उनके पास आने के वास्ते दिये गये 24 घंटे के अल्टीमेटम की अवधि आज शाम खत्म हो जाने पर पास के प्रवक्ता मनोज पनारा ने यह घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें डर है कि सरकार हार्दिक को जबरन सरकारी अस्पताल में भर्ती कर उनके लीवर, किडनी और दिल के पहले से खराब होने की बात कह उनके स्वास्थ्य को खराब करने का षडयंत्र कर सकती है।
पनारा ने यह भी कहा कि उनके निजी चिकित्सक और करीबी साथी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पाटीदार धार्मिक संस्था खोडलधाम ट्रस्ट के चेयरमैन नरेश पटेल अगर मध्यस्थता करें तो पास को यह स्वीकार होगा। इस बीच, हार्दिक ने गुरुवार लगातार चौथे दिन भी सरकारी चिकित्सकों को जांच के लिए ब्लड और मूत्र के नमूने नहीं दिये। इतना ही नहीं उनके वजन को लेकर बुधवार को पैदा हुए विवाद के बाद आज उन्होंने अपना वजन कराने से भी इंकार कर दिया।
किसानों की कर्ज माफी, पाटीदार आरक्षण और राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार उनके साथी अल्पेश कथिरिया की रिहाई की मांग को लेकर वह जब बाहर अनुमति नहीं मिलने पर 25 अगस्त को यहां ग्रीनवुड रिसार्ट के अपने आवास पर अनशन पर बैठे तब उनका वजन 78 किलो था। जो अब घट कर 58 किलो हो गया है। उन्होंने अनशन के छठे और सातवें दिन यानी 30 और 31 अगस्त को जल त्याग किया था पर एक सितंबर से फिर से इसे लेना शुरू कर दिया था। आज 13 वें दिन सुबह उन्हें पहली बार व्हील चेयर इस्तेमाल करते हुए भी देखा गया।
उधर, कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष परेश धानाणी और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ पटेल समेत अन्य नेता और विधायकों ने आज हार्दिक के मुद्दे पर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से राजधानी गांधीनगर में मुलाकात की। उन्होंने उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा। धानाणी ने कहा कि अगर सरकार ने ज्ञापन की मांगों पर सकारात्मक रूख नहीं दिखाया तो पार्टी शुक्रवार सुबह 11 बजे से प्रत्येक जिला मुख्यालय पर 24 घंटे का धरना अनशन कार्यक्रम करेगी।
इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतू वाघाणी ने इस बात पर सवाल खड़ा किया कि कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री को सौंपे गये 8 पन्ने के ज्ञापन में कही भी पाटीदार समुदाय को आरक्षण का उल्लेख क्यों नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में खुलेआम कांग्रेस के साथ रहे और उसके लिए वोट मांगने और भाजपा को गालियां देने वाले हार्दिक अब फिर तटस्थ कैसे हो गये। वह कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे हैं। भाजपा सरकार लोकतांत्रिक विरोध के खिलाफ नहीं है पर भावनात्मक ब्लैकमेलिंग करना भी सही नहीं है। लंबे समय से गुजरात में सत्ता से बाहर कर दी गयी कांग्रेस उन्हें मोहरा बना रही है। वह वोट बैंक के लिए राज्य में फिर से अराजकता और हिंसा पैदा करना चाहती है।
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा कांग्रेस नेता दिनशा पटेल ने भी आज हार्दिक से मुलाकात कर उनके अनशन के प्रति समर्थन व्यक्त किया। गोधरा कांड के गुंडे गुजरात के भाजपा वाले मैं मर जाऊं उनको क्या फर्क पड़ेगा,हजारों लोगों की हत्या करके तो सत्ता प्राप्त की है।13 दिन के अनशन के बाद भी भाजपा वालों ने अभी तक किसानों एवं सबसे बड़े पटेल समुदाय के बारे कुछ सोचा भी नहीं है और बोले भी नहीं।कोई बात नहीं चुनाव भी आ रहा है।