अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति यानी पास के नेता हार्दिक पटेल को राहत देते हुए महेसाणा जिले के विसनगर में जुलाई 2015 में तत्कालीन भाजपा विधायक रिषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ के मामले में एक निचली अदालत से उन्हें मिली सजा पर आज फौरी रोक लगाते हुए उन्हें नियमित जमानत दे दी। 23 जुलाई 2015 को आरक्षण समर्थक रैली के दौरान भीड़ ने पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ के अलावा वहां एक कार को आग लगा दी थी और एक कैमरामैन से मारपीट और उसके कैमरे में तोड़फोड़ भी की थी।
इस मामले में स्थानीय अदालत ने गत 25 जुलाई को हार्दिक के अलावा सरदार पटेल ग्रुप के अध्यक्ष लालजी पटेल और एक अन्य पाटीदार नेता ए के पटेल को दो दो साल साधारण कारावास और अर्थदंड की सजा सुनायी थी, हालांकि तीनों को तभी जमानत दे दी गयी थी और सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करने के लिए एक माह की मोहलत दी थी। हार्दिक ने इस सजा को रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उनके वकील जुबिन भरडा ने बताया कि जज न्यायमूर्ति एस एच वोरा की अदालत ने निचली अदालत की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें निचली अदालत की जमानत शर्तों के साथ ही नियमित जमानत भी दे दी। उन्होंने बताया कि अब आगामी दिनों में कुछ प्रक्रियायें पूरी करने के बाद अपील पर अंतिम सुनवाई होगी।
इस बीच, हार्दिक ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी 25 अगस्त से अहमदाबाद में उनके अनशन कार्यक्रम को लेकर वह अनुमति के लिए कलेक्टर, पुलिस आयुक्त और मनपा आयुक्त से जल्द मिलेंगे और अगर उन्हें अनुमति नहीं मिली तो भी वह शांतिपूर्ण तरीके से अपना कार्यक्रम जरूर करेंगे।